पुलवामा हमला हमेशा से संदेह के घेरे में रहा है। पुलवामा हमले में ३०० किलो आरडीएक्स का उपयोग किया गया। उसमें ४० जवान शहीद हो गए थे। उन जवानों का बलिदान का प्रचार करके भाजपा ने २०१९ के लोकसभा चुनाव में वोट मांगे। उस दौरान भी पुलवामा हमले के पीछे का सच क्या है? हमला किसने किया? इसे किसने अंजाम दिया? इस तरह की शंकाएं विपक्षी दलों ने जताई थीं, लेकिन सवाल पूछने वाले विपक्षियों को देशद्रोही ठहराकर मोदी और उनके अंधभक्त मुक्त हो गए। इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था को भेदकर पुलवामा तक ३०० किलो ‘आरडीएक्स’ वैâसे पहुंचा? ४० जवानों की नृशंस हत्या का जिम्मेदार कौन? इसके पीछे की सच्चाई सामने नहीं आई, लेकिन पुलवामा के समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने सच का विस्फोट किया और वह धमाका ३०० किलो आरडीएक्स से बड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कश्मीर की उपेक्षा की जाती है। वहां की सुरक्षा व्यवस्था की त्रुटियों की तरफ अनदेखी होने के कारण ही पुलवामा हमला हुआ। ऐसा श्री मलिक ने कहा। फरवरी २०१९ में दुनिया को हिलाकर रख देनेवाला पुलवामा हमला हुआ। उस समय सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर हुआ यह हमला यानी केंद्रीय गृह मंत्रालय की अक्षमता और गैरजिम्मेदारी का परिणाम था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल के बयान काफी विस्फोटक हैं और सत्य बोलने पर उन्हें तुरंत ‘ईडी’ या ‘सीबीआई’ का निमंत्रण आ सकता है। जैसा कि अरविंद केजरीवाल के मामले में होता दिखाई दे रहा है। ४० जवानों की हत्या हुई। उस पर केवल राजनीति हुई। किसी और देश में इस तरह की हत्याओं के लिए उस देश के रक्षा मंत्री या गृहमंत्री का ‘कोर्ट मार्शल’ कर दिया गया होता, लेकिन पाकिस्तान पर ४० जवानों की हत्या का ठीकरा फोड़कर ये लोग चुप हो गए। सत्यपाल मलिक कहते हैं, ‘पुलवामा का वह रास्ता यात्रा के लिए खतरनाक था। आमतौर पर उस रास्ते से सुरक्षाकर्मी यात्रा नहीं करते। इसलिए सीआरपीएफ जवानों को लेकर जाने के लिए विमान की मांग की गई थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया। जवानों को लेकर जानेवाले रास्ते की भी पर्याप्त सुरक्षा जांच नहीं की गई थी। उसी रास्ते पर आतंकी हमले में ४० जवानों का बलिदान चला गया,’ लेकिन बेहद गंभीर बात तो आगे है। ‘पुलवामा हमले के बाद मोदी ने कार्बेट उद्यान के बाहर से मुझसे संपर्क किया। मैंने सुरक्षा में त्रुटियों की जानकारी उन्हें दी। उन्होंने मुझे शांत रहने को कहा। बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी मुझे एकदम से शांत रहने को कहा। सारा ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ने और घटना का राजनीतिक फायदा उठाने का उनका उद्देश्य था, यह मुझे बाद में समझ आया।’ श्री सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर के कई रहस्यों पर से पर्दा हटाया है। कश्मीरी पंडितों की हत्या मोदी-शाह रोक नहीं पाए हैं। पंडित मंडली आज भी विस्थापित ही है। धारा ३७० हटाने के बाद से कश्मीर घाटी में चुनाव कराने की हिम्मत सरकार नहीं दिखा पाई है। इस समय भ्रष्टाचार, घोटाला जोर-शोर से जारी है। एक बड़े उद्योगपति की ‘फाइल’ क्लियर कराने के लिए संघ परिवार के एक नेता मिले। फाइल क्लियर करने के बदले में उन्होंने मुझे ३०० करोड़ रुपए की ऑफर दी। उस संघ नेता का नाम लेते हुए मलिक ने यह सब जानकारी अब दी है। प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्टाचार से कुछ लेना-देना नहीं है, ऐसा खुलासा मलिक ने उदाहरण देते हुए किया। गोवा के मुख्यमंत्री टैक्सी कारोबारियों से वसूली कर रहे हैं, ऐसी शिकायत करते ही क्या हुआ? वसूलीबाज मुख्यमंत्री को अभय मिला और गोवा से मेरी ही बदली प्रधानमंत्री ने कर दी, ऐसा मलिक कह रहे हैं। पूर्व राज्यपाल मलिक ने सिलसिलेवार धमाके किए, लेकिन गोदी मीडिया ने उसे महत्व नहीं दिया। इस तरह का खुलासा कांग्रेस के शासन काल में किसी पूर्व राज्यपाल ने किया होता तो भाजपा ने अभी तक भ्रष्टाचार और देशद्रोह के नाम पर हाय-तौबा मचा दी होती, लेकिन श्री मलिक के बयानों को जगह न दी जाए ऐसी सूचना जाने पर मीडिया ने सच्चाई से आंखें मूंद लीं। आजादी सत्ताधारियों के कदमों में गिरवी रख दिए जाने का यह सबूत है। पुलवामा मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय जवानों की अस्मिता से संबंधित है। ३०० किलो आरडीएक्स पाकिस्तान से आया और अगले कम से कम महीने भर कश्मीर घाटी में घूमता रहा, लेकिन खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। पहले सीमा पार से आरडीएक्स अंदर आया और दूसरा यह कि अंदर आने के बाद कई सुरक्षा घेरों को पार करते पुलवामा तक पहुंचा। इस लापरवाही की जिम्मेदारी असल में किसे लेनी चाहिए? सरकार ने सैनिकों को ले जाने के लिए विमान उपलब्ध नहीं कराया। तो क्या यह जवानों की हत्या कर राजनीतिक लाभ उठाने की साजिश थी? विपक्ष की सरकारें गिराने के लिए टूटे चालीस-पचास विधायकों को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए हवाई जहाज आसानी से उपलब्ध हो जाता है, लेकिन जवानों की सुरक्षा के लिए विमान नहीं मिलता। इसे ही आज देशभक्ति माना जाता है। २०१९ का आम चुनाव जीतने के लिए ४० जवानों की ‘शहादत’ को पुलवामा में सूली पर चढ़ा दिया गया। उन शहीद जवानों के रोते हुए बच्चे, पत्नियां, माता-पिता के आंसुओं का उपयोग अपने प्रचार में करके फिर से सत्ता हासिल की। ऐसे क्रूर तरीके की राजनीति वर्तमान में चल रही है। सत्ता के लोभ ने भाजपा को इतना मूक-बधिर और अंधा बना दिया कि देश के जवानों की जान का सौदा हो गया। सत्यपाल मलिक की जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद पर नियुक्ति प्रधानमंत्री मोदी ने ही की थी। इसलिए मलिक विपक्षी पार्टियों के तोता हैं, यह कहकर टाइम पास नहीं किया जा सकता। गौतम अडानी के कारनामों पर प्रधानमंत्री चुप हैं। वे पुलवामा के विस्फोटक रहस्य के खुलासे पर भी खामोश हैं। कई राष्ट्रीय संवेदनशील मुद्दों पर प्रधानमंत्री ‘चुप’ रहते हैं। मौन में जाना पसंद करते हैं। प्रधानमंत्री का मौन पुलवामा हमले और घोटाले का समर्थन करता है!