मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : भाजपा हटाओ, मुंबई बचाओ! ...धड़क मोर्चा क्यों?

संपादकीय : भाजपा हटाओ, मुंबई बचाओ! …धड़क मोर्चा क्यों?

मुंबई में हुई पहली मूसलाधार बारिश से ही मुंबई और मुंबईकरों का चैन छिन गया है। भ्रष्टाचार के कारण मुंबई डूबी। महाराष्ट्र की राजधानी में पिछले दो वर्षों से जनप्रतिनिधियों की सरकार नहीं है, महापौर नहीं है और न ही विषय समितियां हैं। अधिकारी सांठ-गांठ करके मनमानी तरीके से मुंबई का जो कारभार चला रहे हैं उसे लूट ही कहा जा सकता है। मुंबई के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व को कम करने की खुली कोशिशें जारी हैं। अब फडणवीस-घाती सरकार मुंबई को बदसूरत और गरीब बनाकर मुंबई की बची-खुची साख को धूल में मिलाने का काम कर रही है। मुंबई मनपा में जो लूट चल रही है वह फडणवीस-गद्दारों के आशीर्वाद से ही। मुंबई मतलब महाराष्ट्र के ११ करोड़ लोगों की मुंबादेवी मां, लेकिन गद्दारों के लिए मुंबई का मतलब है ‘एटीएम’ या सोने का अंडा देने वाली मुर्गी। भाजपा अंडे खा रही है और घाती मुख्यमंत्री ने मोदी-शाह की सलाह पर सीधे मुर्गी काटकर खाने का निर्णय लिया है। मुंबई महानगरपालिका में कोई ‘नगरसेवक’ नहीं होने से वर्तमान में मनपा बिल्डरों और ठेकेदारों के नियंत्रण में है। आए दिन लूटपाट का एक नया मामला सामने आ रहा है। मनपा के माध्यम से मुंबई में ४०० किलोमीटर लंबी सड़कों के काम में छह हजार करोड़ का जंबो घोटाला हुआ है। जिन पांच कंपनियों को इस काम का टेंडर मिला, उसके पीछे असली सूत्रधार ‘खोके’ सरकार के मुख्यमंत्री और उनका परिवार है। लेकिन आपकी ‘ईडी’ आदि ने इस बारे में आंखें बंद कर ली है। घाटे में चल रही मनपा को शिवसेना ने फायदे में ला दिया। ८८ हजार करोड़ की जमापूंजी मुंबई महानगरपालिका ने सुरक्षित रखी थी। यह संपत्ति शिवसेना की वजह से ही बढ़ी है। अब इस ८८ हजार करोड़ की जमा राशि को लूटने और खाने की साजिश चल रही है। मुंबई महानगरपालिका ने ५२ हजार करोड़ रुपए का बजट पेश किया। इस बजट में प्रस्तावित कुछ परियोजनाओं के लिए जमा राशि को तोड़कर १५,००० करोड़ रुपए का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा गया था। जमापूंजी को तोड़ने का यह मामला गंभीर है। जनप्रतिनिधियों की सरकार के न होने पर इस पैसे की लूट, जनता के पैसे का गबन है। मुंबईकरों के टैक्स के पैसे से जुटाई गई जमा राशि यह मुंबईकरों की संपत्ति है। भारतीय जनता पार्टी यह व्यापारियों और ठेकेदारों की पार्टी है। उनका मुंबई शहर और मुंबई महानगरपालिका से भावनात्मक रिश्ता नहीं है, इसलिए मुंबई को ऐसे नोचने से वे व्यथित नहीं होते हैं। मुंबई की सुरक्षा और नागरिक सुविधाओं के संदर्भ में न तो कोई ठोस कार्यक्रम भाजपा और न ही उसके घाती गुट के पास है। इसलिए ६,००० करोड़ के सड़क कार्य बेखौफ होकर कराए गए और घोटालों का रास्ता साफ किया गया। सड़कों का एकमुश्त कंक्रीटिंग किसी भी शहर के लिए खतरनाक है। मुंबई पहले ही सीमेंट का जंगल बन चुकी है। इसमें कंक्रीटिंग के कारण नालियों और सीवरों के रास्ते में अवरोध उत्पन्न होंगे। मुंबई की ड्रेनेज व्यवस्था ब्रिटिश काल की है और इस पर काफी बोझ बढ़ गया है। इस कारण मुंबई का ‘जोशीमठ’ होने में देर नहीं लगेगी। मुंबई महानगरपालिका में जनप्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में सड़कें और नाले साफ किए गए, लेकिन पहली ही बारिश में मुंबई डूब गई और लोगों को परेशानी हुई। अब शिवसेना सत्ता में नहीं है। राज तो घातियों का ही है, तो इसका दोषी कौन होगा? मुख्यमंत्री कहते हैं, ‘बारिश का स्वागत करो। मुंबई में जल-जमाव को नजरअंदाज करो।’ यह बयान असंवेदनशील है। पहली बारिश में मुंबई-ठाणे की जनता की जो दुर्दशा हुई वह बीते सालभर में हुए घोटालों की वजह से है। सड़कें गड्ढों में तो, नालियां पूरी तरह उफान पर रहे। तो इस सब पर खर्च किया गया पैसा कहां बह गया? नगरसेवकों का कार्यकाल ७ मार्च, २०२२ को समाप्त हो गया था। इसके बाद ८ मार्च से मुंबई मनपा पर प्रशासकीय शासन शुरू हो गया। इस दौरान मुंबई-ठाणे समेत सभी महानगरपालिकाओं में आर्थिक व्यवहार का मतलब घोटाले ही घोटाले हुए हैं। मुंबई मनपा में स्ट्रीट फर्नीचर घोटाला इसी दौरान हुआ। एक ही पसंदीदा ठेकेदार को १६० करोड़ का काम २६३ करोड़ में दिया गया। इस बीच के ‘कमिशन’ को जिसने मारा, वह मुख्यमंत्री के आवास पर उन्हीं खास लोगों में है। सड़क, फर्नीचर, स्वास्थ्य जैसे सभी विभागों में सिर्फ टेंडर का जोर रहा। इन सभी धोखेबाजों पर आपराधिक मामला दर्ज कर मुकदमा चलाया जाना चाहिए, लेकिन वर्तमान में सांप समझकर लकीर पीटने का काम शुरू है। मुंबई मनपा, मुंबई शहर एक तरफ मौजूदा दिल्लीश्वर लूट रहे हैं, दूसरी तरफ भाजपा और उसके घाती भी लूट रहे हैं। जांच एजेंसियां इन घोटालों पर आंखें मूंदे बैठी हैं। ऐसे समय में लोग मुंबई मनपा को बचाने के लिए शनिवार १ जुलाई को सड़कों पर उतर रहे हैं। मुंबई मनपा में लूटमार होने के दौरान जो मुर्दा की तरह बैठा रहेगा, वह मुंबईकर कैसा? १०५ शहीदों के बलिदान से महाराष्ट्र को मुंबई मिली। उस मुंबई को नोचने के लिए महाराष्ट्र के सभी दुश्मन एक हो गए हैं। मुंबई महाराष्ट्र के माथे पर चमकने वाला एक टीका है। मुंबई महाराष्ट्र का भाग्य है। उस सौभाग्य को सदैव बनाए रखने के लिए कल विराट मोर्चा निकलेगा। मुंबईकरों की इस ताकत को देखकर दिल्लीश्वरों को भी दहलने दो!

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