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संपादकीय : किसानों को बचाएं…अतिवृष्टि की मार!

पता नहीं क्यों मराठवाड़ा और विदर्भ के किसानों की खुशी प्रकृति से देखी नहीं जाती। सिर्फ पिछले आठ-दस वर्षों से किसान किसी न किसी प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ रहे हैं और प्रकृति उनकी फसलों का ग्रास हाथ से मुंह तक पहुंचते ही छीन लेती है। इन दोनों क्षेत्रों के किसानों को कभी सूखा, अकाल, कभी अतिवृष्टि और कभी ओलावृष्टि जैसे संकटों से लगातार जूझना पड़ता है। अब वैसा ही हुआ है। पिछले सप्ताह के अंत तक मराठवाड़ा के सभी जिले और विदर्भ के कुछ जिले भारी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए। बारिश इतनी भयंकर थी कि कुछ ही घंटों में सभी नदियों में बाढ़ आ गई। कई गांव बाढ़ से घिर गए। खेत तालाब में तब्दील हो गए और किसानों की आंखों के सामने खेतों की सारी फसलें नष्ट हो गर्इं। कटाई के लिए तैयार या जमा की गई मूंग, उड़द की फसलें बारिश के कारण या तो बह गर्इं या भीग कर नष्ट हो गर्इं। यह माना जा रहा था कि कपास, सोयाबीन, हल्दी, मक्का की फसलें इस वर्ष अच्छी पैदावार देंगी, लेकिन भारी बारिश के चलते किसानों को दुर्भाग्य से ये सभी खरीफ की फसलों को नष्ट होते देखना पड़ा। मराठवाड़ा के १,५०० से ज्यादा गांवों में फसलों को भारी नुकसान हुआ। दो-तीन दिनों में बारिश और बाढ़ से मराठवाड़ा के आठ जिलों में कुल १२ लोगों की मौत हो गई। १५० से अधिक जानवर बह गए या उनकी मौत हो गई। किसानों की आंखों में आंसू लाने वाली इस भारी बारिश ने मराठवाड़ा में करीब ८ से १० लाख हेक्टेयर की कृषि योग्य खेती का बुरी तरह नुकसान किया। इसके अलावा, लगभग १२ हजार हेक्टेयर में केले, अनार, अमरूद और अन्य फलबागों का क्षेत्र बुरी तरह से बर्बाद हो गया। नांदेड़ के ७१ मंडलों में भारी बारिश से २ लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो गई। हिंगोली जिले के ३० में से २६ मंडलों में भारी बारिश हुई और करीब ढाई लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई। परभणी जिले में भी ५० मंडलों में भारी बारिश दर्ज की गई और दो लाख हेक्टेयर से ज्यादा की फसल बर्बाद हो गई। भारी बारिश से लातूर जिले के ३१ मंडल, धाराशिव जिले के १६, जालना जिले के २९ और छत्रपति संभाजीनगर जिले के ४७ मंडलों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। मराठवाड़ा में विदर्भ से ज्यादा बारिश हुई। मानो बादल फट गया हो, करीब १८ से २४ घंटे तक लगातार बारिश होती रही। शनिवार को इस बारिश ने मराठवाड़ा के नांदेड़, परभणी, हिंगोली जिलों और जिले के हर तालुके को जलमग्न कर दिया। इसके बाद दूसरे दिन लातूर, बीड, धाराशिव, जालना और छत्रपति संभाजीनगर जिलों में भी रविवार रात से सोमवार शाम तक भारी बारिश हुई। विदर्भ के यवतमाल, वाशिम, अकोला जिले भी भारी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यवतमाल जिले के पुसद समेत १६ तालुकाओं में बारिश ने कहर बरपाया। लगातार दो दिनों तक बिना एक पल की राहत के हुई भीषण बारिश ने न केवल खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद कर दीं, बल्कि सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि भी इस बारिश के पानी में बह गई। फसल बर्बाद होने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है, लेकिन खेती को फिर से खेती योग्य बनाने के लिए किसानों को काफी पैसा भी खर्च करना पड़ेगा। नांदेड़ जिले में गोदावरी, आसन, सीता, पैनगंगा, मंजारा, मान्याड इन सभी नदियों में बाढ़ आ गई और मराठवाड़ा और विदर्भ के बीच संपर्क टूट गया। परभणी के करपरा, पूर्णा और हिंगोली में कयाधु नदी में भारी बाढ़ आई। नांदेड़ में विष्णुपुरी बांध के १४ गेट खोलने पड़े, लेकिन इस भयानक भारी बारिश के कारण पिछले ३० साल में पहली बार लिंबोटी बांध के नौ दरवाजे खोलने की नौबत आ गई। छत्रपति संभाजीनगर के पैठण का जायकवाड़ी बांध भी लबालब हो गया है। मराठवाड़ा और विदर्भ में एक-दो दिन तक भारी बारिश की संभावना जाहिर की गई है। अगर ऐसा हुआ तो जायकवाड़ी बांध के गेट भी खोलने पड़ेंगे। इधर पैठण के आगे भारी बारिश के कारण गोदावरी नदी पहले से ही उफान पर है। यदि जायकवाड़ी के द्वार खोले जाते हैं, तो इससे पैठण से नांदेड़ तक गोदावरी तट के सभी गांवों में गंभीर बाढ़ आ सकती है। पिछले दो-तीन दिनों में हुई भारी बारिश के कारण मराठवाड़ा और विदर्भ के कुछ जिलों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। जलजमाव वाले खेतों में कटने के लिए तैयार और लहलहाती फसलें किसानों की आंखों के सामने ही जमींदोज हो गर्इं। सरकार को इस भयानक नुकसान का तत्काल पंचनामा बनाकर किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा देने के लिए कदम उठाना चाहिए। ‘लाड़ली बहन’ योजना को एक ‘इवेंट’ के तौर पर प्रचारित करने में मगन खोकेशाह सरकार को अतिवृष्टि से बर्बाद हुए किसानों का दर्द भी समझना चाहिए। आप चाहें तो अपने मनपसंद इवेंट कर लें, लेकिन किसानों को जिंदा रखने के लिए वहां पर जाकर उन्हें आर्थिक मदद देनी ही चाहिए!

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