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संपादकीय : शिंदे सरकार का फांसी का फंदा!

बदलापुर मामला महाराष्ट्र की छवि और प्रतिष्ठा पर कालिमा लगा रहा है, जिसकी वजह से लाडली बहनों को १,५०० रुपए में फांसने की कोशिश पर पानी फिर गया है। मुख्यमंत्री शिंदे, गृहमंत्री फडणवीस कह रहे हैं, ‘विपक्ष बदलापुर मामले में राजनीति कर रहा है। विपक्ष फेक नैरेटिव बना रहा है।’ देश में फेक नैरेटिव बनाकर चुनाव लड़ने की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी ने की। उनका दांव अब उल्टा उन पर ही चल चुका है। गद्दारों के लाडले मुख्यमंत्री श्रीमान शिंदे कितना ‘फेक’ और कितना झूठ बोलते हैं, इसका एक उदाहरण अब सामने आया है। बदलापुर मामले के बाद शिंदे ने महिलाओं के सामने अपने एक भाषण में शेखी बघारते हुए कहा, ‘हम महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। ढाई साल पहले महाराष्ट्र में भी ऐसी ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी। एक लड़की पर अत्याचार हुआ, लेकिन हम चुप नहीं रहे। हमने बलात्कार के मामले की कार्रवाई एकदम फास्ट ट्रैक पर की और दो महीने पहले उस अपराधी को फांसी दे दी गई।’ क्या मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को इतना विचित्र झूठ बोलना चाहिए? महाराष्ट्र में बलात्कार का कौन-सा मामला हुआ और उस मामले को फास्ट ट्रैक पर चलाकर अपराधी को फांसी दे दी गई? आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी घटना की खबर महाराष्ट्र को नहीं है। यदि यह अपराध हुआ है तो किस पुलिस स्टेशन में दर्ज है? यह मुकदमा किस न्यायालय में चलाकर अभियुक्त को फांसी दे दी गई तथा अभियुक्त को किस जेल में फांसी दी गई? मुख्यमंत्री को इसका तुरंत खुलासा करना चाहिए। इतने बड़े मामले को इतने गुप्त रूप से क्रियान्वित कर आरोपी को फांसी देना कोई ‘आसान’ काम नहीं है। कम से कम राज्य पुलिस को तो इस मामले की जानकारी होनी चाहिए या फिर पुलिस विभाग में सरकार की इकलौती लाडली बहन रश्मि शुक्ला ने आपस में ही इन्वेस्टिगेशन कर आरोपी को फांसी पर लटका दिया, यह भी देखना पड़ेगा। शिंदे और उनके विधायक शायद रस्सी बनाने के लिए गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर गए होंगे। क्योंकि जैसा कि शिंदे कहते हैं, मामला ढाई साल पहले का है और फांसी दो महीने पहले दी गई। यदि महाराष्ट्र और देश को इस झटपट न्याय की जानकारी नहीं है तो महाराष्ट्र के राज्यपाल को इसके बारे में संवैधानिक विवरण की घोषणा करनी चाहिए। यदि किसी अपराधी को फांसी दी जानी होती है तो उसके लिए विधिवत राज्यपाल की अनुमति लेनी पड़ती है। इसलिए मुख्यमंत्री शिंदे ने जिस नराधम को फांसी दी है उसका रिकॉर्ड राजभवन में होगा ही। आखिर मुख्यमंत्री ने इस हत्यारे को कहां फांसी दी? उस स्थान को शक्ति पार्क या शौर्य पार्क का दर्जा देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री घटना की विस्तृत जानकारी दें। वह कौन अत्याचारी है जिसे मुख्यमंत्री ने फांसी पर लटका दिया? कहां का है? क्या उसे ‘वर्षा’ बंगले के पीछे खुली जगह पर लटकाया गया था या इसके लिए राजभवन के पिछवाड़े की जगह का इस्तेमाल किया गया? यदि इसका ऐतिहासिक दस्तावेजीकरण कानून के छात्रों को उपलब्ध करा दिया जाए तो भविष्य में ‘फास्ट ट्रैक’ के महत्व का गुणगान किया जा सकता है। बदलापुर मामले में सरकार ने जिस तरह से निर्लज्जता का व्यवहार किया है यह उस धूर्तता का एक जीता-जागता नमूना है। झूठ बोलना, धोखा देना शिंदे सरकार के खून में है। जैसे बलात्कार के मामले में अज्ञात ऐरे-गैरे को फांसी दिया जाना कोरी लफ्फाजी साबित हुई, उसी तरह प्रदर्शनकारियों को झूठा ठहराए जाने के मामले का भी हुआ। बदलापुर में प्रदर्शनकारियों का सैलाब उमड़ पड़ा। सरकार ने इसे ‘फेक नैरेटिव’ साबित करने की कोशिश की कि ये सभी आंदोलनकारी बाहरी और भाड़े के लोग हैं। इस झूठ को पैâलाने में मंत्री गिरीश महाजन सबसे आगे थे। उनके नेता देवेंद्र फडणवीस इस काम में माहिर हैं, लेकिन फडणवीस जैसे लोगों को अपनी ही पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों की रिमांड रिपोर्ट देखनी चाहिए। वे तो कह रहे थे कि प्रदर्शनकारियों को बाहर से लाया गया था, लेकिन रिमांड रिपोर्ट में सभी लोग बदलापुर के ही रहनेवाले हैं, यह आपकी पुलिस ने साबित कर दिया है। झूठ बोलने के लिए गृहमंत्री को महाराष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए। लाचार मुख्यमंत्री एक आरोपी को फांसी देने की कहानी सुनाते हैं, जो झूठी ही है। वहीं राज्य के गृहमंत्री और उनके समर्थक घोषणा करते हैं कि बदलापुर के प्रदर्शनकारी बाहरी हैं। लेकिन वो भी झूठ निकला। ऐसे ‘एक नंबर’ के झूठे लोग महाराष्ट्र की गर्दन पर बैठे हैं। उन्होंने झूठ बोलकर सरकार बनाई और वे झूठ बोलकर राज्य चला रहे हैं। मारी जा रही हैं महाराष्ट्र की लाडली बहनें। मुख्यमंत्री ने एक फांसी की रस्सी तैयार रखी है। झूठी सरकार को उसी फांसी पर लटकाना होगा। कल का ‘महाराष्ट्र बंद’ इसकी शुरुआत है!

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