प्रधानमंत्री मोदी पर दिल्ली में फूलों की वर्षा की गई। फूलों की इस वर्षा के दौरान मोदी द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं को मुस्कुराते हुए हाथ उठाकर अभिवादन करते हुए तस्वीरें प्रकाशित हुर्इं। जब मोदी पर फूल बरसाए जा रहे थे तब उसी वक्त जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में हमारे जवानों का खून बह रहा था। लश्कर-ए-तोयबा के आतंकवादियों ने घुसपैठ की थी व जवानों के साथ उनकी मुठभेड़ हुई। इस दौरान भारतीय सेना के एक कर्नल और मेजर सहित चार जांबाज अधिकारी शहीद हुए। कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोनक और डीएसपी हुमायूं भट्ट आतंकवादियों के हमले में वीरगति को प्राप्त हुए। जम्मू-कश्मीर में हालात सही नहीं है, जबकि ‘जी-२०’ की सफलता से मोदी सरकार अभिभूत और उत्साहित है। जवानों के आतंकवादियों से जान की बाजी लगाकर लड़ने के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे। मोदी ने ‘जी-२०’ में भारी सफलता हासिल की इसलिए उन पर फूलों की भारी बारिश की गई। इस दौरान वहां पर गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपस्थित थे। कर्नल, मेजर, डीएसपी की मृत्यु का गम इन नेताओं के चेहरे पर जरा भी नजर नहीं आ रहा था। कम से कम राजनाथ सिंह को तो दु:ख प्रकट करना चाहिए था। कुछ समय से भाजपा का सनातन धर्म के प्रति पूतना मौसी जैसा प्यार उमड़ पड़ा है। उनकी जानकारी के लिए हम बताना चाहते हैं कि अनंतनाग की मुठभेड़ में युवा पुलिस अधिकारी हुमायूं भट्ट शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए शहीद हो गए हैं, इसे भूला नहीं जा सकता। जम्मू-कश्मीर में धारा ३७० हटाते वक्त वहां संपूर्ण आबादी आबाद होगी, ऐसी तस्वीर सरकार ने दिखाई थी। लेकिन आखिरकार यह झूठा साबित हुआ। धारा-३७० हटाए साढ़े चार साल बीत गए हैं लेकिन वहां पर अभी तक विधानसभा चुनाव नहीं हो सका है। वहां पर भारतीय जनता पार्टी की करारी हार होगी इस भय से चुनाव नहीं होने देना यह जनता के साथ विश्वासघात है। एक राज्यपाल के भरोसे जम्मू-कश्मीर जैसा संवेदनशील राज्य नहीं चलाया जा सकता। कश्मीर घाटी में हिंदू ‘पंडित’ समुदाय की घरवापसी होगी और घाटी में अब नए उद्योग-धंधों का निर्माण होगा तथा ज्यादा रोजगार उपलब्ध होगा, ऐसी दलील उस दौरान मोदी-शाह ने दी थी। प्रत्यक्ष तौर पर इनमें से कुछ भी नहीं हुआ है। कश्मीरी पंडित आज भी राहत शिविर में लावारिस जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसलिए धारा-३७० हटाकर, लद्दाख को अलग कर भाजपा सरकार ने क्या साध्य किया? उल्टे लद्दाख में चीनी सैनिक पैंगॉन्ग लेक तक घुस आए हैं और उन्हें पीछे हटाने में सरकार कमजोर साबित हुई है। यह मोदी सरकार की असफलता है। यह सरकार लद्दाख की जमीन वापस ले नहीं सकती, कश्मीरी पंडितों की रक्षा कर नहीं सकती, आतंकवादियों की घुसपैठ और जवानों का बलिदान रोक नहीं सकती व कश्मीरियों का मन भी जीत नहीं सकती। इसके बावजूद भारत सरकार के एक मंत्री ने पाक व्याप्त कश्मीर हासिल करने को लेकर कवायद शुरू होने की दहाड़ लगाई। यह मंत्री पूर्व सेनाप्रमुख हैं। इस दहाड़ के बाद ‘टीआरएफ’ यह आतंकी संगठन सामने आया और उसने अनंतनाग में घुसकर चार जांबाज अधिकारियों को शहीद कर दिया। मंत्री ने दहाड़ लगाई लेकिन सेना के चार अधिकारियों को प्राण न्योछावर करने पड़े। पाक व्याप्त कश्मीर लेंगे यह अच्छी बात है, लेकिन ऐसी कार्रवाई भूमिगत तरीके से गुप्त पद्धति से होती है। राजनैतिक दहाड़ लगाने से नुकसान होता है, यह सेनाप्रमुख पद पर रह चुके व्यक्ति को नहीं पता होगा इस बात पर आश्चर्य होता है। सेना में अब राजनीति भर दी गई है और सैनिकों को छुट्टी लेकर मोदी का प्रचार करने संबंधी एक ‘पैâड’ सरकार ने लाया है। मोदी सरकार आखिर कर क्या रही है? देश को किस अंधेरी गुफा की ओर धकेल रही है? ७५ साल की मेहनत से यह देश खड़ा हुआ है। इसमें मोदी जैसे लोगों का कुछ भी योगदान नहीं है। मोदी ने अब संसद का विशेष अधिवेशन बुलाया है और ७५ वर्ष के कालखंड पर वह चर्चा कराना चाहते हैं। उसमें से धोखेबाजी के पिछले ९ वर्षों को हटा देना चाहिए। देश की अखंडता के बारे में, एकात्मता के बारे में मोदी सरकार द्वारा दिए गए सभी वचन खोखले साबित हुए हैं। जम्मू-कश्मीर संवेदनशील विषय है। वहां आज भी जवानों के खून की धाराएं बह रही हैं और यहां देश चलानेवाले खुद पर फूल-पंखुड़ी की वर्षा करने में धन्यता मान रहे हैं। संसद के विशेष सत्र में थोड़ी इस पर भी चर्चा होने दीजिए। जम्मू-कश्मीर की भूमि पर शहीद हुए वीर जवानों को हमारा अभिवादन! बिखरे हुए फूल तो सूख जाएंगे, लेकिन आपके खून के छींटे देश कभी नहीं भूल पाएगा!