देश में इतना गड़बड़ माहौल कभी नहीं रहा। कल तक स्वायत्त के रूप में जानी-जानेवाली कई सरकारी एजेंसियों का भाजपा ने निजीकरण कर दिया है। यह खतरा अल कायदा, तालिबान से भी ज्यादा भयानक है। चुनाव आयोग तो भाजपा की थाली के नीचे बिल्ली बनकर सत्ताधारियों के दरवाजे पर दुम हिलाते बैठा है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट को चुनाव आयोग को लेकर सख्त पैâसला लेना पड़ा और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित करनी पड़ी। यह भाजपा की मनमानी पर करारा तमाचा है। इस पृष्ठभूमि में दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी हैं। देश के नौ विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्ष पर दबाव बनाया जा रहा है। देश सीधे-सीधे तानाशाही की दिशा की ओर जा रहा है, ऐसा इस पत्र का लहजा है। वहीं वरिष्ठ न्यायविद कपिल सिब्बल ने ‘इंसाफ का सिपाही’ आंदोलन शुरू किया। ईडी, सीबीआई का हथियार के तौर पर इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों का ‘कांटा’ निकाला जा रहा है। इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है। ऐसा श्री सिब्बल ने स्पष्ट किया है। सिब्बल के अनुसार, देश की स्वतंत्रता खतरे में आ गई है और देश के वकीलों को नए स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होना चाहिए। विरोधियों का छल करके उनका सफाया करना और अकेले सत्ता में रहने की भूमिका लोकतंत्र के अनुरूप नहीं है। ये दोनों घटनाएं लोकतंत्र की दृष्टि से आशाजनक हैं। वैंâब्रिज यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी का भाषण इस समय सुर्खियों में है। गांधी के फोन में ‘पेगासस’ डालकर उनकी बातें सुनी जा रही थीं। जासूसी के लिए जनता के पैसों का उपयोग करके इस्राइल से सिस्टम खरीदा गया। इन सबका विस्फोट श्री गांधी ने वैंâब्रिज में किया। इस वजह से भाजपा के पोपटों ने ‘रोष’ व्यक्त करते हुए कहा कि देश की बदनामी हुई है। फिर श्री मोदी अब तक विदेश में जाकर पंडित नेहरू से लेकर इंदिराजी, राजीव गांधी और उनकी सरकार के बारे में बोलते थे, वह देश की बदनामी नहीं थी तो क्या थी? आज देश में जो तानाशाही शासन चल रहा है, उससे लोकतंत्र की लाश गिरी हुई नजर आ रही है। भाजपा को विपक्ष के अनाचार के मामलों को उछालने में भाजपा को शैतानी खुशी मिलती है। इनमें ज्यादातर मामले झूठे हैं। खुद के घर के भ्रष्टाचार के मामलों को यह मंडली बिंदास दबा देती है। इन मामलों को जनता के सामने लाने का काम सिब्बल के ‘इंसाफ का सिपाही’ को करना चाहिए और उसके लिए वकीलों को पहल करनी चाहिए। कर्नाटक के भाजपा विधायक मडल विरुपक्षप्पा के घर से ८ करोड़ रुपए की ‘नकदी’ का भंडार बरामद हुआ। इतना बड़ा ‘वैâश कांड’ होने के बावजूद भी ईडी, सीबीआई भूमिगत है। मोदी भ्रष्टाचार मुक्त शासन की डींगें हांकते हैं। सबसे भ्रष्ट शासन व्यवस्था उन्हीं की है। उसी विधायक मडल के चिरंजीव को लाखों की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इस पर भाजपावाले बोलने को तैयार नहीं हैं। भाजपा ने भ्रष्ट तरीके से हजारों करोड़ रुपए कमाए और ‘अडानी’ के माध्यम से निवेश करके उसे काले से सफेद किया। अब यह स्पष्ट हो गया है कि इस गुप्त लेन-देन में एलआईसी से लेकर राष्ट्रीय बैंकों तक सभी डूब गए। भारतीय जनता पार्टी ने देश को लूटा है और जांच का झमेला सिर्फ विपक्ष के पीछे लगा रखा है। ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करके भाजपा ने देशभर में आठ सरकारें गिरार्इं, ऐसा हमला वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में बोला। दुष्यंत दवे ने कहा कि विपक्ष को बेवजह प्रताड़ित करने की मोदी सरकार की साजिश है। भाजपा एक के बाद एक राज्यों में विपक्षी दलों के विधायकों को प्रलोभन देकर या जबरन अपनी पार्टी में शामिल कर रही है। विधायकों को ‘बरगला’ कर चार्टर्ड प्लेन से दूसरी तरफ ले जाना और आलीशान होटल में उन्हें ठहराने के तरीके भाजपा अपना रही है। यह लोकतंत्र का मजाक है, यह लोकतंत्र की मौत है। इसे सिर्फ आप ही रोक सकते हैं। ऐसा आह्वान वकील दवे ने सुप्रीम कोर्ट में किया। कपिल सिब्बल के ‘इंसाफ का सिपाही’ ने यही रुख अपनाया है और देश की नौ विपक्षी पार्टियों के नेताओं के पत्र में भी यही मसौदा है। अरविंद केजरीवाल, चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी, भगवंत मान, तेजस्वी यादव, फारूक अब्दुल्ला, शरद पवार, उद्धव ठाकरे और अखिलेश यादव जैसे नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित प्रधानमंत्री मोदी को लिखा गया पत्र देश की तानाशाही पर प्रकाश डालता है। इस पत्र का एक हिस्सा जो बेहद चौंकानेवाला है, वह यह है कि साल २०१४ में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से देश में विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर कार्रवाई का प्रमाण बढ़ गया है। बड़ी संख्या में झूठे आरोपों में विपक्षी दलों के नेताओं को गिरफ्तार किया गया। हैरानी की बात यह है कि विपक्षी दलों के जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उनमें से जिन राजनीतिक नेताओं ने भाजपा में प्रवेश किया, उन पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। इनमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, सुवेंदु अधिकारी, मुकुल रॉय, नारायण राणे शामिल हैं। महाराष्ट्र सहित देश में भाजपा की ‘भ्रष्टाचार वॉशिंग मशीन’ के खिलाफ मजबूती से खड़े रहने का यही वक्त है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए ‘इंसाफ’ के सिपाहियों को कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा। राजनीति के लिए पूरा जीवन पड़ा हुआ है। पहले आइए देश बचाएं!