अफ्रीका खंड का सबसे बड़ा देश सूडान पिछले एक हफ्ते से हिंसा की आग में जल रहा है। इसमें देश की जनता ने रत्तीभर भी भाग नहीं लिया है। लेकिन इस खूनी संघर्ष में अब तक चार सौ से अधिक निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। सूडान की सेना और उसके अर्धसैनिक बलों के बीच यह जंग छिड़ी हुई है और बेवजह आम लोग इसमें पीसे जा रहे हैं। सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान और वहां के अर्धसैनिक बलों के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दगालो, इन दो कमांडरों के बीच वर्चस्व के विवाद से पूरा सूडान एक युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया है। वर्ष २०१९ में सूडान में निर्वाचित राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर की सरकार के खिलाफ सूडान के लोगों ने एक बड़ा विद्रोह किया। इस आंदोलन का पक्ष लेते हुए सूडान की सेना ने राष्ट्रपति अल-बशीर को पद से हटा दिया। उन दिनों ये दोनों कमांडर एक साथ थे। तख्तापलट करके सेना और अर्धसैनिक बल की सत्ता स्थापित करने तक दोनों ने मिलकर काम किया। इसके बाद उनके बीच संघर्ष शुरू हुआ। सूडानी जनता का समर्थन हासिल करने के लिए सेना प्रमुख अब्देल फतह द्वारा दो साल के भीतर एक लोकप्रिय निर्वाचित सरकार लाने और अर्धसैनिक बलों को सीधे सेना में समाहित करने की भूमिका अपनाने के बाद युद्ध छिड़ गया। अर्धसैनिक बलों के प्रमुख जन. दगालो को देश में और दस वर्ष तक सैन्य शासन चाहिए। अर्धसैनिक बलों का स्वतंत्र अस्तित्व और सत्ता से कब्जा छोड़ने की उनकी तैयारी नहीं है। देश में संयुक्त सरकार स्थापित करने तक एक-दूसरे के घनिष्ठ मित्र रहे, ये दोनों सेना के अधिकारी अब एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए हैं। इसी कारण पूरे सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों का एक-दूसरे पर भीषण हमला जारी है। देश के कई हिस्सों में फायरिंग, बम हमला और आगजनी की घटनाएं हो रही हैं। राजधानी खार्तूम की सड़कों पर कई जगहों पर लावारिस लाशें पड़ी हैं। सूडान की इस विस्फोटक स्थिति को देखते हुए परिवार के परिवार देश छोड़कर पलायन करने की कोशिश कर रहे हैं। बाल-बच्चों के साथ घर से बाहर निकलनेवाले बेकसूर नागरिकों पर भी अचानक हमले हो रहे हैं। लिहाजा, सूडान की जनता वस्तुत: अपनी जान मुट्ठी में लेकर जी रही है। हिंदुस्थान समेत दुनियाभर के कई देशों के हजारों नागरिक सूडान में फंसे हुए हैं और उन्हें देश से सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिशें जारी हैं। अकेले हिंदुस्थान के तीन हजार से अधिक नागरिक सूडान में फंसे हुए हैं और हिंदुस्थान की सरकार ने उन्हें सुरक्षित अपने देश में वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन कावेरी’ नामक एक बचाव अभियान चलाया है। सूडान में १५ अप्रैल से खुलेआम कत्लेआम हो रहा है और इस भयावह माहौल में कोई अपना ठिकाना छोड़कर एयरपोर्ट तक पहुंचने का जोखिम वैâसे उठा सकता है? ऐसा सवाल सूडान में फंसे विदेशी नागरिकों के सामने है। अब तक करीब ५०० हिंदुस्थानी नागरिक किसी तरह खार्तूम के हवाई अड्डे और बंदरगाह तक पहुंचे हैं। देश के विभिन्न स्थानों पर फंसे पड़े अन्य हिंदुस्थानी नागरिक भी जो रास्ता मिले उसके माध्यम से हवाई अड्डे तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच हमले में एक हिंदुस्थानी नागरिक की भी मृत्यु हुई है। ऐसे हालात में खार्तूम तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, प्रâांस, चीन, रूस आदि देशों ने भी अपने नागरिकों को सुरक्षित घर वापस लाने के लिए युद्धस्तर पर अभियान शुरू किया है। सूडान की सेना भी इस बचाव मुहिम में सहयोग कर रही है, इसलिए वहां फंसे विदेशी नागरिक सुरक्षित बाहर निकल आएंगे, लेकिन सूडानी नागरिकों के जीवन का क्या? न तो किसी देश ने आक्रमण किया, न ही देश की जनता ने अपने हाथों में हथियार लेकर विद्रोह किया, फिर भी अप्रâीकी देश सूडान भीषण गृहयुद्ध के गर्त में फंस गया है। सेना प्रमुख और अर्धसैनिक बल के प्रमुख, इन दो कमांडरों के बीच सूडान में शुरू हुए खूनी संघर्ष ने एक सप्ताह के भीतर ही चार सौ से अधिक लोगों की जान ले ली है। वैश्विक समुदाय द्वारा अपने देश के नागरिकों को सुरक्षित वापस लाते समय सूडान के सैन्य प्रमुख और अर्धसैनिक बल के प्रमुख पर भी तत्काल युद्धविराम लागू करने के लिए दबाव बनाना चाहिए!