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संपादकीय : धोखेबाजी का अमृतकाल! …मराठवाड़ा की कैबिनेट बैठक

मराठवाड़ा में मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की गई। कैबिनेट बैठक से पहले राज्य सरकार ने मनोज जरांगे-पाटील का अनशन खत्म करवाया। मराठा समाज को आरक्षण देने के संबंध में सरकार को तीस दिन की मोहलत दी गई है, लेकिन अनशन भले ही खत्म हो गया है परंतु यह आंदोलन जारी रहेगा, ऐसी भूमिका जरांगे-पाटील ने ली है। अनशन तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री आएं, ऐसी इच्छा अनशनकारी नेताओं की थी, लेकिन मुख्यमंत्री तो आए, परंतु दोनों उपमुख्यमंत्री नहीं आए। संभाजीनगर में होनेवाली बैठक में कोई अड़चन नहीं आनी चाहिए। सरकारी वाहनों पर, मंत्रियों पर हमले जैसी घटनाएं न हों, इसके लिए सरकार ने समय बिताने का काम किया है। मराठवाड़ा में कुछ वर्षों से लगातार अकाल पड़ रहा है। कैबिनेट बैठक के कर्तव्यों का पालन किया जाता है, लेकिन हाथ कुछ नहीं लगता। अब मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम के अमृत महोत्सव का महत्व जानकर सरकार ने कैबिनेट की बैठक ली। अमृत महोत्सव के एक समारोह के लिए देश के गृहमंत्री अमित शाह संभाजीनगर में आने वाले थे, लेकिन प्रशासन द्वारा कार्यक्रम की संपूर्ण रूपरेखा तैयार करने के बाद अमित शाह ने अचानक मराठवाड़ा का दौरा टाल दिया। घाती मुख्यमंत्री हों या केंद्रीय गृहमंत्री शाह हों, शहर में पहुंचकर वह लोगों को सिर्फ आश्वासन ही दिए होते। पिछले आठ महीनों में राज्य के डेढ़ हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें से ६८५ किसान केवल मराठवाड़ा के ही हैं। बीड़ जिले में कम से कम २०० किसानों ने आत्महत्या की है। मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम के अमृत महोत्सव काल की यह तस्वीर चौंकानेवाली है। मोदी स्वतंत्रता का अमृतकाल अपने अनुसार मना रहे हैं, जिसमें जनता के लिए अमृत कम और झूठ-फरेबी घोषणाओं के विष का प्याला ज्यादा है। मराठवाड़ा के मामले में भी इससे अलग क्या होगा? यही घोषणा और वही धोखेबाजी। पहले फडणवीस ने मराठवाड़ा के लिए घोषणाओं की बरसात कर दी। अब असंवैधानिक मुख्यमंत्री श्रीमान घाती भी यही करेंगे। विरोधी पक्ष नेता श्री अंबादास दानवे मराठवाड़ा के सुपुत्र हैं। उनका बसेरा संभाजीनगर में ही रहता है। मराठवाड़ा के साथ पिछली बार हुई धोखेबाजी को लेकर उन्होंने सरकार की पोल खोल दी है। ‘इससे पहले देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री रहते हुए २०१६ में संभाजीनगर में हुई वैâबिनेट की बैठक में ५० हजार करोड़ की घोषणा की थी। उन घोषणाओं का क्या हुआ?’ यह सवाल श्री दानवे ने पूछा है। फडणवीस की घोषणा और उस घोषणा के बाद जारी आंकड़े मजेदार नमूना हैं। मराठवाड़ा डेयरी विकास बोर्ड के माध्यम से एक हजार गांव में दुग्ध परियोजना शुरू कर सवा लाख लोगों को रोजगार देने की घोषणा फडणवीस ने की थी। उस दूध परियोजना का क्या हुआ? उस दूध के मक्खन किसी के मुंह लग भी पाए या खोखे सरकार बनाने में खर्च हो गए? संभाजीनगर के करोडी में ट्रांसपोर्ट हब बनाकर वहां भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की घोषणा हवा में लुप्त हो गई। लातूर के विभागीय क्रीड़ा संकुल का काम कहां रुक गया? परभणी में ६८ एकड़ में टेक्साइल पार्क बनाने की घोषणा का क्या हुआ? नांदेड़ जिला के तीर्थक्षेत्र के रूप में चर्चित माहूर के विकास के लिए घोषित २५० करोड़ रुपए की निधि का क्या हुआ? इसका मतलब यह है कि जनता को तो छोड़िए, देव-देवताओं के नाम पर धोखेबाजी करने में भी यह सरकार आगे-पीछे नहीं सोचती। कृष्णा-मराठवाड़ा सिंचाई योजना के लिए ४,८०० करोड़ और नगर-बीड़-परली रेल मार्ग के लिए २,८२६ करोड़ की निधि देने का एलान फडणवीस ने किया था। इन तमाम घोषणाओं का क्या हुआ, सरकार को वैâबिनेट की बैठक से पहले इसका खुलासा करना चाहिए। इसके बाद ही नई घोषणाओं का गाजर मराठवाड़ा की जनता को दिखाया जाए। २०१६ में की गई किसी भी घोषणा को लागू नहीं किया गया और अब २०२३ के लिए नए पैकेज लेकर आ रहे हैं। नांदेड़, लातूर, धाराशिव, म्हैसमाल जैसी कई जगहों पर अनेक योजनाएं शुरू करने की घोषणा की गई, लेकिन उनकी एक भी र्इंट पिछले पांच वर्षों में नहीं लगाई गई। इसलिए आज की वैâबिनेट बैठक में इससे अलग क्या होनेवाला है? दरअसल, शिंदे-फडणवीस-अजीत पवार की सरकार असंवैधानिक है। इसलिए उनके द्वारा की गई घोषणाएं, लिए गए निर्णय गैरकानूनी साबित होनेवाले हैं। इसके बावजूद वैâबिनेट की जल्दबाजी वाले आयोजन पर सरकारी तिजोरी से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। कल यह सरकार ‘अवैध’ घोषित होने पर इन पैसों की वसूली कानूनी तरीके से करनी पड़ेगी। ‘शासन आपल्या दारी’ जैसे कार्यक्रम घाती सरकार पर सवार हुए हैं। इन कार्यक्रमों का शौक घाती सरकार को लगा है। इस शौक या व्यसन के चलते सभी कार्यक्रमों पर बेहिसाब ढंग से चार-पांच करोड़ उड़ाना और कांट्रेक्टबाजी शुरू है। छत्रपति संभाजीनगर में आज होनेवाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक पर लाखों रुपए खर्च कर शहर के एक से बढ़कर एक महंगे होटल्स सरकार की ओर से बुक कर लिए गए हैं। इसके अलावा आवागमन के लिए सैकड़ों घोड़ा-गाड़ी हैं ही। ऐसे पांच सितारा वातावरण में करोड़ों रुपयों की बर्बादी कर यह बैठक संपन्न होनेवाली है। अर्थात वैâबिनेट बैठक के लिए नाम मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम के अमृत महोत्सव का और झांसा मराठवाड़ा के अकाल पर राहत भले ही हो लेकिन यह बैठक राजसी ठाठ-बाट वाली है। मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम का अमृत महोत्सव और अकाल रहा एक तरफ, राज्य सरकार ने तो अपने राजसी ठाठ-बाट का दर्शन मराठवाड़ा में कराया। आज मराठवाड़ा में मुख्यमंत्री आएंगे और झंडा फहराकर चले जाएंगे, लेकिन मराठवाड़ा की जनता एक बार फिर धोखेबाजी के बोझ तले रौंदी जाएगी।

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