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संपादकीय: जांच का नया छलावा!

महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर गृह मंत्री फडणवीस ने सख्त रुख अपनाया है। इसके लिए उनका अभिनंदन। नासिक समेत राज्यभर में शिक्षा विभाग में लगातार उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामले जांच के लिए ‘ईडी’ को सौंपे जाएंगे, ऐसी घोषणा फडणवीस ने की। यहां-वहां कोई नहीं, सीधे ‘ईडी’ के पास। शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की बेहिसाबी संपत्ति मिलती है तो जप्त की जाएगी, ऐसा जोरदार बयान श्री फडणवीस ने दिया। बीते दो वर्षों में शिक्षा विभाग के कई बड़े अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए। परीक्षा बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव स्तर के अधिकारियों को कदाचार के मामलों में गिरफ्तार किया गया और रिहा कर दिया गया। इन सभी के खिलाफ कार्रवाई से शिक्षा विभाग की गंदगी साफ हो गई क्या? तो नहीं। यह सब सतही कार्रवाई है। फडणवीस ने अब घोषणा की है कि शिक्षा अधिकारियों की ‘ईडी’ से जांच कराएंगे, लेकिन मान लीजिए कि जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और जिनके खिलाफ ऐसी जांच चल ही रही हैं, वे सभी शिक्षा अधिकारी और उनके राजनीतिक बाप भाजपा की वॉशिंग मशीन में ‘कूद’ जाते हैं, तो इन ईडी जांचों का क्या भविष्य होगा? यह सवाल है ही। खैर, गृह मंत्री को भ्रष्टाचार साफ करना है और उन्हें यह करना ही चाहिए, लेकिन क्या महाराष्ट्र राज्य का पुलिस बल और जांच एजेंसियां इसके लिए सक्षम नहीं हैं? जांच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव न लाएं तो हमारे पुलिस बल में ऐसे अधिकारी मौजूद हैं, जो बिना निष्पक्ष जांच कर सकते हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों का हमारे राज्य में घुसाना, यह हमारे पुलिस बल पर अविश्वास दिखाने जैसा ही मामला है। बीते दो वर्षों में शिक्षा विभाग के १२ अधिकारी गिरफ्तार किए गए। यह इस क्षेत्र में वित्तीय लेन-देन की बड़ी गुंजाइश को दर्शाता है, इसका खामियाजा शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली को भुगतना पड़ रहा है। इसका खुलासा हो ही चुका है। विश्वविद्यालयों और शिक्षा बोर्डों में घोटालों को राजनीतिक आशीर्वाद मिलता है, तो सब कुछ बिगड़ जाता है। ऐसे अधिकारियों की सहूलियत वाली जगहों पर तबादले या पदोन्नति के लिए विधायक और मंत्री विशेष रुचि लेकर काम करते नजर आते हैं। इसलिए जब ऐसा कोई अधिकारी पकड़ा जाए तो उसकी सिफारिश करने वाले संबंधित मंत्री या विधायक का नाम भी सामने आना चाहिए। अच्छा, भ्रष्टाचार सिर्फ इसी एक विभाग में चल रहा है क्या? शहरी विकास, राजस्व, स्वास्थ्य, ऊर्जा, महिला-बाल विकास, आदिवासी, लोक निर्माण, सड़क विभाग में वैâसा दुग्धाभिषेक चल रहा है? राज्य के वित्त मंत्री ने अपनी पसंद के बागी विधायकों को निधि आबंटन के नाम पर सैकड़ों करोड़ रुपए का जो मलीदा बांटा और उस मलीदे पर कमीशन की मलाई जिनके मुंह लगेगी उन्हें भी भ्रष्टाचारी कहा जाना चाहिए। घाती-फडणवीस वैâबिनेट में सात मंत्री और ३१ विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ ईडी और सीबीआई की कार्रवाई चल रही है और मुश्रीफ और अन्य मंत्री अस्थायी जमानत पर छूटे हैं। शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और मुश्रीफ के सहकारी बैंकों, सहकारी कारखानों के भ्रष्टाचार में ऐसा कौन-सा अंतर है? भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्तियों को जब्त करेंगे, ऐसा श्री फडणवीस ने कहा, लेकिन मंत्रिमंडल में और सरकार का समर्थन देने वालों में कई ऐसे कद्दावर लोग हैं, जिनकी संपत्ति ‘ईडी’ ने जब्त की है। जरंडेश्वर एवं अन्य शक्कर कारखाने इनमें हैं। अब शिक्षा अधिकारी, मुख्याध्यापकों आदि लोगों की संपत्तियां जब्त की जाएंगी और जो लोग नए सिरे से भाजपा की वॉशिंग मशीन में खुद को धो ले रहे हैं उनकी जागीरें मुक्त हो जाएंगी, ऐसा कुल मिलाकर प्रतीत हो रहा है। अब्दुल सत्तार, दादा भुसे के मामलों पर गंभीर आरोप हैं और उनके मामले ‘ईडी’, ‘सीबीआई’ को भेजे जाने चाहिए, इतने गंभीर हैं। भाजपा के दौंड विधायक राहुल कुल के भीमा पाटस सहकारी कारखाने का मामला मतलब ५०० करोड़ की डकैती है। फडणवीस सरकार ने उन्हें कल क्लीन चिट दे दी। इन सभी मामलों की जांच किस जांच एजेंसी ने की, इसका खुलासा नहीं हुआ है। फडणवीस की इच्छा हुई इसलिए क्लीन चिट दे दी गई। विक्रांत युद्धपोत घोटाले की जांच पूरी होने से पहले ही जांच रोक कर क्लीन चिट देना, यह संदेहास्पद है और नीयत साफ नहीं होने का उदाहरण है। भावना गवली, यशवंत जाधव, राहुल शेवाले जैसे कई विधायकों, सांसदों के खिलाफ ‘ईडी’ की जांच जारी थी लेकिन उसे रोककर उन्हें सरकार में शामिल करके अभय दे दिया गया। अब मुख्याध्यापकों, शिक्षा अधिकारियों आदि को ‘ईडी’ का खौफ दिखाया जा रहा है। इससे भ्रष्टाचार का कचरा साफ होगा, ऐसा नजर नहीं आ रहा है। गृह मंत्री फडणवीस या उनकी सरकार को कोई व्यक्ति भ्रष्ट लगेगा तो वह भ्रष्ट अथवा संत लगेगा तो संत या साधु है, यह नीति खुद ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है। महाराष्ट्र में ठीक ऐसा ही चल रहा है! मनमाने ढंग से जांच करा लेना एक छलावा ही साबित होकर रहेगा!

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