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संपादकीय : खालिस्तान का नया भूत, तिरंगे को हाथ लगा!

प्रधानमंत्री मोदी अंधभक्तों के विश्व गुरु हैं, इस संबंध में हमें कुछ नहीं कहना है, लेकिन हमारे देश की राष्ट्रीय भावनाओं को दुनिया भर में कुचला जा रहा है और वह अंधभक्तों को कतई दिखाई नहीं दे रहा है। खालिस्तान आंदोलन के नए ‘भिंडरावाले’ अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब में जैसे ही कार्रवाई शुरू हुई, उसका असर लंदन में दिखाई देने लगा। लंदन के हिंदुस्थानी उच्चायोग पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया और लहराते तिरंगे को नीचे उतार दिया। इतना ही नहीं, वहां खालिस्तान का झंडा फहराने का भी प्रयास किया गया। ऐसा एक वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है‌। हिंदुस्थान को ५६ इंच के सीने वाले प्रधानमंत्री मिले हैं और उनके होते हुए हमारे तिरंगे को इस तरह से उतारने का सीना आतंकवादियों का हो, यह हैरानी की बात है। इस समय हमारे देश में एक विवाद चल रहा है और उस विवाद का केंद्र बिंदु लंदन में राहुल गांधी का दिया गया भाषण है। हिंदुस्थान में लोकतंत्र खतरे में है, ऐसा राहुल गांधी ने लंदन में कहा था। भाजपा वाले कह रहे हैं कि ये देशद्रोह है। फिर उसी लंदन में खालिस्तानियों ने हिंदुस्थानी उच्चायुक्त के दफ्तर में घुसकर तिरंगा उतरवा दिया, हंगामा किया, क्या यह देश का अपमान नहीं है? केवल विरोध, धिक्कार व्यक्त करने के अलावा आपने क्या किया? लोकतंत्र और स्वतंत्रता खतरे में है, हमारे तिरंगे की रक्षा करने में बतौर सरकार आप कमजोर पड़े हैं। संसद में विपक्ष के बोलते समय उनका माइक बंद करना आपके हाथ में है, लेकिन तिरंगा उतारकर हंगामा करनेवालों का देशद्रोह रोकना ‘आपके बस की बात नहीं है!’ इंग्लैंड के यूनियन जैक को उतारकर तिरंगा फहराने के लिए लाखों लोगों ने त्याग किया। उस त्याग में कोई योगदान न देनेवाले लोगों के हाथ में सत्ता जाने का यह परिणाम है। खालिस्तान आंदोलन का भूत फिर सिर उठा रहा है और सिख युवाओं को भड़काया जा रहा है। यह देश की स्थिरता के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। अमृतपाल सिंह ये नया भिंडरावाला ‘वारिस पंजाब दे’ नामक एक संगठन चलाता है और उसके माध्यम से खालिस्तान आंदोलन चलाता है। जब पुलिस उसके किसी समर्थक पर कार्रवाई करती है, तब वह हजारों समर्थकों के साथ उस पुलिस स्टेशन का घेराव करता है और अपने आदमियों को छुड़ा ले जाता है। हालांकि, यह विषय राज्य सरकार के अधीन कानून व्यवस्था का मामला है, लेकिन केंद्र सरकार इससे हाथ नहीं झटक सकती। पंजाब पाकिस्तान की सीमा से लगा राज्य है। पंजाब में अशांति बनी रहे इसलिए पाकिस्तान की गतिविधियां जारी रहती हैं। कश्मीर की तरह पंजाब भी थोड़ा ज्यादा विस्फोटक और संवेदनशील है, लेकिन कश्मीर में जिस तरह की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की राजनीति की जाती है, वैसा पंजाब में नहीं होता। क्योंकि यहां भाजपा हिंदू-मुस्लिम राजनीतिक झगड़ा नहीं लगा सकती और न ही इसका फायदा उठा सकती है। आज पंजाब एक बार फिर अशांत हो रहा है और इसके पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ है। अमृतपाल सिंह पाकिस्तानी आईएसआई के पिट्ठू के तौर पर काम कर रहा है। दुबई स्थित ‘आईएसआई’ मुख्यालय से पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन को नए से ताकत मिल रही है। इसका मतलब अमृतपाल सिंह को पाकिस्तान से आर्थिक मदद मिल रही है। शनिवार को जैसे ही पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, अमृतपाल फरार हो गया, लेकिन भारी मात्रा में हथियार पुलिस के हाथ लगे। पंजाब की धरती से हिंदुस्थान को अशांत और अस्थिर करने की साजिश पाकिस्तान ने रची है और यहां मोदी सरकार राजनीतिक विरोधियों के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई है। पंजाब में भाजपा की सरकार नहीं है इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देनेवाली शक्ति के मामले में केंद्र आंखें नहीं मूंद सकता है। एक भिंडरावाले ने पंजाब समेत देश में खून की नदियां बहा दीं। उस हिंसा में इंदिरा गांधी कुर्बान हो गर्इं। आज जो नए ‘भिंडरावाले’ बनने जा रहे हैं तो उन्हें समय रहते खत्म कर देना चाहिए। हमारे देश में धर्म और राजनीति का घालमेल एक बार फिर शुरू हो गया है। देश भर में हिंदुत्व के नाम पर जो ‘जिहाद’ आक्रोश मोर्चे निकल रहे हैं, उसके पीछे के असली मास्टरमाइंड भाजपा वाले हैं। कल इसी सूत्र पर अन्य धर्म के लोगों ने ऐसे जिहादी मोर्चे निकाले तो एक बार फिर अराजकता जैसा धर्मयुद्ध खड़ा हो जाएगा। उसमें देश और तिरंगा दोनों झुलस उठेंगे। खालिस्तान का एक नया भूत सिर उठा रहा है। लंदन में वही हुआ। कनाडा में भी ऐसा ही हो रहा है। हिंदुस्थान में उस अशांति की शुरुआत हो गई है। धर्म अफीम की गोली है। उस अफीम की मात्रा अब थोड़ी और बढ़ गई है। तिरंगे तक को हाथ लगाने की इनकी मदहोशी बढ़ गई है। लोकतंत्र, स्वतंत्रता और देश खतरे में है। अंधभक्तों को यह दिखाई नहीं दे रहा है, बस इतना ही! उनका हिंदुस्थान अलग होगा!

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