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संपादकीय : सूरज जरूर उगेगा!

दलबदल का लंबा अनुभव रखनेवाले महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर द्वारा दिए गए शिवसेना विधायक अयोग्यता के पैâसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है। मूल शिवसेना से छलांग लगाकर शिंदे गुट में शामिल हुए विधायकों को अयोग्य क्यों नहीं ठहराया गया? मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने नार्वेकर के पैâसले पर सवाल उठाया और उस पर शिंदे गुट के अंग्रेजी वकीलों ने लीपापोती करने की कोशिश की। सिर्फ विधिमंडल के बहुमत के आधार पर कौन सा गुट मूल राजनीतिक दल होगा यह तय नहीं किया जाता। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि किसी राजनीतिक दल के संगठन में बहुमत किसके पास है, यह मुद्दा भी उतना ही महत्वपूर्ण है। विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश पर गंभीरता से विचार नहीं किया और असंगत निर्णय देकर लोकतांत्रिक संविधान की हत्या कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि गुटनेता के तौर पर शिंदे का चुनाव अवैध है। शिंदे गुट द्वारा नियुक्त प्रतोद भरत गोगावले और राज्यपाल की कार्रवाई भी अवैध है। पांच सदस्यीय पीठ का यह निर्देश शिंदे सहित १६ विधायकों को अयोग्य ठहराने का पैâसला था, लेकिन इन सभी निर्देशों को कूड़े की टोकरी में फेंक दिया गया और विधानसभा अध्यक्ष ने चोर मंडल को असली पार्टी घोषित कर दिया। इसका मतलब है कि शिवसेना टूटकर अलग हुए घाती गुट की ही है, इस तरह का निर्णय दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने सीधे तौर पर मनमानी की और खोके सरकार के पाप को बचाने का अपराध किया। सुप्रीम कोर्ट ने नार्वेकर को ‘आर्बिट्रेटर’ के तौर पर नियुक्त किया। आर्बिट्रेटर ने न्याय नहीं किया। उन्होंने भी गोबर भरे खोके में चेहरा डुबोकर और दिल्ली से आए पैâसले की कॉपी पढ़कर सुनाया। आर्बिट्रेटर के इस अन्याय के खिलाफ शिवसेना (असली) फिर सुप्रीम कोर्ट गई और अब कोर्ट ने उस पर विधानसभा के अध्यक्ष को फटकार लगाई है, लेकिन लोकतंत्र के सभी हत्यारों पर सत्ता का नशा चढ़ा हुआ है और उस नशे में निर्लज्जता की भांग मिली हुई है, जिसकी वजह से उनके चेहरों पर पाप का कोई निशान नहीं दिखता। इस वक्त देश में हॉर्स ट्रेडिंग का बाजार गर्म है और खुद प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हॉर्स ट्रेडिंग के बाजार में बैठकर सौदेबाजी कर रहे हैं। कई खराब घोड़े, भ्रष्टाचारी घोड़े ऊंची कीमत पर खरीदे जा रहे हैं और भाजपा के अस्तबल में बांधे जा रहे हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भाजपा के खाते में भ्रष्ट मार्ग से हजारों करोड़ रुपए जमा हुए हैं। उसी भ्रष्ट पैसे का इस्तेमाल कर विधायक-सांसद खरीद-फरोख्त के पटाखे फोड़े जा रहे हैं। भाषण में नैतिकता की बात करते हैं और वास्तविकता में असंगत व्यवहार करते हैं। फिर उन्हीं पापी हाथों से सत्यवादी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर, राम के नाम पर वोटों की भीख मांगने का धंधा फिलहाल चल रहा है। न्यायालय सहित सभी संवैधानिक संस्थाएं भी इनके अधीन हैं। प. बंगाल के न्यायाधीश गंगोपाध्याय के इस्तीफे से यह मामला साबित हो गया है। अजीत पवार, अशोक चव्हाण की कतार में कोलकाता हाई कोर्ट के जज गंगोपाध्याय जाकर बैठे तो यह एक प्रकार की धूर्तता हुई। न्याय के आसन पर बैठे राहुल नार्वेकर ने वैसा ही किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस अलग हुए अजीत पवार की और शिवसेना किसी ऐरे-गैरे शिंदे की, इस तरह का निर्णय देकर एट्रीब्यूटर ने अपनी सात पीढ़ियों को नरक में भेज दिया, लेकिन आशा की किरणें सुप्रीम कोर्ट से दिखाई दे रही हैं। नि:संदेह, यह सत्य होते हुए भी लोकतंत्र-प्रेमी लोगों की उम्मीद है कि तारीख घोटाले में न्याय की हानि न हो और झूठ की जीत न हो। सर्वोच्च न्यायालय के लिए आवश्यक है कि वह राज्य पर थोपे गए वर्तमान गैर-संवैधानिक सरकार को तुरंत बर्खास्त कर न्याय करे, लेकिन धर्म की वकालत करनेवाले दोमुंहे वकील हर दिन नए मुद्दे सामने लाते हैं और समय बर्बाद करते हैं। फिर चुनाव आयोग ने इन सभी मामलों में संदिग्ध भूमिका निभाई। यानी कि संविधान का रखवाला ही चोर निकला। अब चोर मंडली के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उद्धव ठाकरे ने फर्जी दस्तावेज पेश किए हैं। चोर मंडली के वकीलों की कानूनी स्थिति की जांच होनी चाहिए, ऐसा यह उनका दावा है। वे हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे के अस्तित्व को ही नकार रहे हैं और शिवसेना को ठाणे के एक बेकार खोके वाले को शिवसेना का निर्माता मान रहे हैं। अब इस बात पर उनका बचकाना प्रवचन नए सिरे से शुरू हो गया है कि उन्हें शिवसेना का संविधान पत्र नहीं मिला है। इस पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही सुनवाई कर चुका है। अब वक्त सिर्फ आर्बिट्रेटर की मनमानी के खिलाफ याचिका पर पैâसला देने का है। भले ही महाराष्ट्र में चोर मंडली ने अपने बचाव के लिए इंग्लैंड की रानी के महंगे वकील खड़े कर लिए, लेकिन हमारा देश स्वतंत्र हो गया। ये आजादी २०१४ में नहीं, बल्कि १९४७ में मिली थी। इसके अलावा इस देश को एक संविधान मिला है। उस संविधान की बुनियाद और कवच-कुंडल मजबूत हैं। मोदी-शाह की भाजपा और उनकी अधर्मी चोर मंडली देश के संविधान को खोका बाजार या हॉर्स ट्रेडिंग के बाजार में नहीं रख सकता। सुप्रीम कोर्ट न सिर्फ पैâसला देगा, बल्कि न्याय करेगा ऐसी उम्मीद की किरणें महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि देश के मन में जगी हैं। न्याय का सूर्य अस्त नहीं होगा चोर मंडली यह ध्यान में रखे। तारीखों की उलझन खत्म होते ही, न्याय का सूरज जरूर उगेगा!

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