महाराष्ट्र में अन्य सभी क्षेत्रों की तरह शिक्षा में भी खेल हो रहा है। कक्षा दसवीं से बारहवीं तक की सभी परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र लीक हो रहे हैं और लड़कों के व्हॉट्सऐप ग्रुपों पर घूम रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य उच्च शिक्षा मंडल की ओर से आयोजित की गई बारहवीं की परीक्षा के पेपर लीक हो गए। परीक्षा से पहले ही गणित का पेपर व्हॉट्सऐप ग्रुप पर सर्कुलेट हो रहा था। बुलढाणा से सीधे मुंबई तक इस पेपर लीक के मामले के उजागर होने पर हलचल मच गई। महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा से लेकर दसवीं-बारहवीं तक की सभी परीक्षाओं को लेकर गड़बड़ी मची हुई है। ‘हम आगे की कार्रवाई के लिए लोक सेवा आयोग का मामला चुनाव आयोग को भेजेंगे।’ ऐसा बुद्धिमानी भरा बयान मुख्यमंत्री शिंदे ने दिया था। इसी तरह क्या वे बारहवीं के पेपर लीक का मामला भी आगे के पैâसले के लिए राज्य चुनाव आयोग को भेजने जा रहे हैं? महाराष्ट्र में एक के बाद एक सभी पेपर और रिजल्ट लीक होते दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले प्रतियोगी परीक्षा का, म्हाडा परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ था। बारहवीं रसायन शास्त्र यानी केमिस्ट्री का पेपर लीक हुआ और उसके बाद गणित का पेपर लीक हुआ। इसे कौन-सा लक्षण माना जाए? केमिस्ट्री का पेपर लीक होने के मामले में मालाड के निजी क्लास चलानेवाले को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, महाराष्ट्र में पेपर लीक के पीछे निजी क्लास चालकों का हाथ होना बताया जाता है, लेकिन इतनी गोपनीयता और सुरक्षा के इंतजामों के बावजूद परीक्षा से पहले ही पेपर का लीक हो जाना चौंकाने वाली बात है, लेकिन जब से महाराष्ट्र में नई सरकार आई है, तब से बिना किसी परीक्षा के ही अवैध रूप से ‘पास’ होने की नई परंपरा शुरू हो गई है। दूसरी बात है कि चुनाव आयोग से लेकर न्यायालय तक सभी पैâसले पहले ही लीक हो चुके हैं। ‘चुनाव आयोग का फैसला चाहे कुछ भी हो लेकिन हमारे ही पक्ष में आएगा, शिवसेना व धनुष-बाण हमें ही मिलेगा, सब सेटिंग हुई है।’ इस तरह से छाती ठोंक कर कहनेवाले यानी फैसला पहले लीक होने जैसा ही है। आखिर में फैसला भी उसी तरह आया। भारतीय जनता पार्टी के श्री नरेंद्र मोदी से लेकर स्मृति ईरानी तक सभी की शैक्षणिक योग्यता, डिग्रियों पर संदेह और प्रश्नचिह्न हैं। महाराष्ट्र कैबिनेट के कुछ मंत्रियों की डिग्रियां फर्जी हैं और प्रत्यक्ष भ्रष्टाचार से लड़ने का ढोंग करनेवाले किरीट सोमैया की ‘डॉक्टरेट’ की पदवी फर्जी होने का खुलासा हुआ है। उनके डॉक्टरेट थीसिस से संबंधित दस्तावेज विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में नहीं हैं। मुंबई में भाजपा से जुड़े कइयों के ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के ‘डॉक्टरेट’ की फर्जी डिग्री निकलने के मामले सामने आए हैं। इसलिए ऐसे शासकों के शासन में ‘परीक्षा’ आदि महज एक तमाशा बनकर रह जाती है और वर्तमान में महाराष्ट्र में यह पूरे जोर-शोर से चल रही है। हजारों बच्चे, गरीब परिवारों के विद्यार्थी दिन-रात मेहनत करते हैं, परीक्षा देने जाते हैं और उससे पहले ही कुछ बच्चों के पास परीक्षा का पेपर आ चुका होता है। महाराष्ट्र में ऐसा कभी नहीं हुआ था, लेकिन पिछले सात-आठ महीनों से महाराष्ट्र के सामाजिक जीवन में इस तरह की बातों की शुरुआत हो गई है। जो लोग भैंसा बलि देकर सत्ता में आए, उन्होंने महाराष्ट्र की संस्कृति की बलि दे दी है। सरकार लूट-मार करके, पैसे बांटकर नियमों को तोड़ती रही। इसलिए ‘पेपर लीक’ के मामले की गंभीरता को वे नहीं समझ पाएंगे। इसके विपरीत, ‘मिंधे गुट में आ जाओ, आपके बच्चों के हाथ में परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र रख देंगे’ का ऑफर देने के लिए ये लोग आगे-पीछे नहीं देखेंगे। पेपर लीक मामले की अब जांच होगी, लेकिन क्या असली गुनहगारों तक जांच पहुंचेगी? बेकाम की सरकार, कोई गंभीरता नहीं वाले शिक्षा मंत्री और ढीला पड़ा मजबूर प्रशासन वर्तमान में महाराष्ट्र के नसीब में आया, राज्य की किस्मत भी फूट गई और पेपर भी फूट गया। जहां चुनाव आयोग, राज्यपाल, न्यायालय जैसे संवैधानिक संस्थान ही फूटते हैं, वहां दसवीं-बारहवीं की परीक्षा का पेपर लीक होने में नई बात क्या है! इसलिए, राज्य में पेपर लीक के मामले सामने आ रहे हैं। राज्य के ‘चालीस दिमाग और पचास खोके’ सरकार का भी संबंध चालीस दिमाग से कम और पचास खोकों से ज्यादा है। लेकिन इन पचास-पचास खोकों को गिनने के लिए गणित की क्या आवश्यकता है? ऐसा हमारे शिक्षा मंत्री को लग रहा होगा। गणित का पेपर लीक होने का कोई कनेक्शन है क्या, वह शिक्षा मंत्री एक बार घोषित कर ही डालें।