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संपादकीय : नागपुर किसने डुबाया?

राज्य की उपराजधानी नागपुर के विकास की शेखी शनिवार को हुई चार घंटों की मूसलाधार बारिश में बह गई। शुक्रवार की मध्य रात्रि से शनिवार की सुबह तक हुई बारिश ने नागपुर में हाहाकार मचा दिया। नाग नदी में आई बाढ़ ने पांच लोगों की बलि ले ली। १० हजार से अधिक घर, बंगले, झोपड़ियां, दुकानों को इस बाढ़ से नुकसान हुआ। कई वाहन बह गए। कम समय में भारी बारिश को हाहाकार की वजह बताया जा रहा है। इसमें सच्चाई होगी भी, लेकिन नागपुर के विकास की गप अंतत: गोलगप्पा साबित हुई, इस वास्तविकता का क्या? नागपुर के विकास का ठेका और जिम्मा जिस स्वघोषित ठेकेदार के पास सालों साल से है, उसके पास इस सवाल का क्या जवाब है? ये नहीं होने की वजह से ही फिर क्रंदन करनेवाले बाढ़ पीड़ित का हाथ पकड़कर एक तरफ धकेलने की नौबत आप पर क्यों आई? किसी बाढ़ पीड़ित का मुंह आप फौरी तौर पर बंद कर सकते हो, लेकिन इस सैलाब ने आपका मुंह पूरी तरह से बंद कर दिया है, ये याद रखें। पिछले कुछ वर्षों में नागपुर शहर ने चारों तरफ जिस कदर प्रगति की है, विकास कामों में वैâसी बढ़ोतरी हुई है, इसी का ढोल पीटा जा रहा है। सीमेंट की सड़कें, फ्लाईओवर, मेट्रो रेलवे, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई मेट्रो और फ्लाईओवर के संगम वाला ‘डबलडेकर वाया डक्ट’ ऐसे कई उदाहरण वहां के विकास के प्रमाण के तौर पर रखे जाते हैं। लेकिन यह ढोल कितना खोखला है, यह विकास वैâसा ऊपरी है, यह शनिवार की भोर में हुई चार घंटों की बारिश ने खोलकर रख दिया। राज्य के दो ‘उपमुख्यमंत्रियों’ में से सीनियर देवेंद्र फडणवीस खुद को नागपुर का सुपुत्र समझते हैं। लेकिन जब नागपुर बाढ़ के पानी में हिचकोले खा रहा था, उसमें फंसे बाढ़ग्रस्त मदद के लिए क्रंदन कर रहे थे, उस समय यह सुपुत्र मुंबई में केंद्रीय गृहमंत्री के साथ गणेश दर्शन कर रहा था। बंद कमरे में चर्चा कर रहा था। बारिश से, बाढ़ से जो नुकसान होना था, वह होने के बाद वे अपने होम टाउन गए, बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया, जायजा लिया, बाढ़ग्रस्तों से मुलाकात की। क्षतिपूर्ति का आश्वासन यह हमेशा की तरह आसानी से संपन्न किया। बाढ़ग्रस्तों के लिए यह सब तो होगा ही, परंतु सरकार की हैसियत से और नागपुर के स्वघोषित विश्वस्त के रूप में आपने अब तक जो दीपक जलाए थे, उसे प्रलयंकारी बाढ़ ने बुझा दिया, उसका क्या? असल में नागपुर में इस तरह की बाढ़ और हाहाकार का इतिहास नहीं रहा है, बल्कि विगत ३० वर्षों में कम से कम चार बार ऐसी आपदा शहर में आई है। शनिवार को इसकी पुनरावृत्ति भयंकर प्रमाण में हुई, लेकिन शहर के विकास की योजना बनाने के दौरान प्रकृति के इस खतरनाक बदले के लिए बिल्कुल भी विचार नहीं किया गया और यही शनिवार की रात आई बाढ़ ने दिखा दिया। कुल मिलाकर चार-साढ़े चार इंच बारिश ने नागपुर के विकास की नीति की इज्जत ही तार-तार कर दी। कुल मिलाकर मूसलाधार बारिश से मुंबई में पानी भरते ही शिवसेना की ओर उंगली दिखानेवाले आप ही लोग हो न? फिर अब जिस नाग नदी में बोट चलाने का सपना आपने दिखाया, उसी नाग नदी में हजारों परिवारों की गृहस्थी, परिवार, वाहन बह जाने की नौबत नागपुरवासियों पर क्यों आई? इसके लिए किसकी ओर उंगली दिखाई जाए? इसी नाग नदी की बाढ़ में तुम्हारे तथाकथित विकास की आज मिट्टी पलीद हो गई और उस कीचड़ में आम नागपुरकर अपने बचे-खुचे सामान ढूंढ़ते फिर रहे हैं, इसके लिए आप क्या प्रायश्चित करनेवाले हो? मुंबई के जैसी भोगौलिक सीमा है और समुद्री पाबंदी है, घनी जनसंख्यावाली बस्ती है, वैसा नागपुर के संदर्भ में नहीं है। फिर भी तुम्हारा वहां के विकास का मॉडल शनिवार को बाढ़ में बह गया। केवल चार घंटों की बारिश में नागपुर डूब गया। उसमें आपके विकास के झांसे को हिचकोले खाते पूरे महाराष्ट्र ने देखा। इस बाढ़ ने नागपुर के स्वघोषित ठेकेदार का मुखौटा भी फटकर गिर गया। अब तो वे और उनका ‘परिवार’ कहीं ‘चिंतन’ करनेवाला है क्या? मुंबई में जलजमाव होने पर शिवसेना की ओर उंगली दिखानेवाले अब नागपुर का ‘डूबापुर’ हो गया, इस पर आपको क्या कहना है? नागपुर किसने डुबाया? ऐसा सवाल नागपुरवासी पूछ रहे हैं। इसका पहले जवाब दो और उसके बाद ही नागपुर के विकास की डींगें हांको।

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