भारत में पैसे की कोई कमी नहीं है, लेकिन देश के लिए ईमानदारी से काम करनेवाले नेताओं की कमी है, ये सुविचार हैं भाजपा नेता नितिन गडकरी के। गडकरी हमेशा अपनी मजबूत राय व्यक्त करते रहते हैं। अंतिम चरण के मतदान शुरू होते ही गडकरी द्वारा यह राय व्यक्त करना कि देश की ईमानदारी में मिलावट है, कोई आश्चर्यजनक बात नहीं, बल्कि जानबूझकर दिया गया बयान है। मूलत: लोगों को इस बात को लेकर संदेह है कि लोकसभा चुनाव ईमानदारी से हो रहे हैं या नहीं। मोदी और भाजपा ने अब तक के सभी चुनाव बेहद बेईमानी से जीते हैं और इसके लिए उन्होंने देश के चुनाव आयोग को कब्जे में रखा है। अत: ईमानदारी की गंगोत्री को भ्रष्ट करने का कार्य प्रमुख तौर पर पिछले दस वर्षों में किया गया। जिस देश का प्रधानमंत्री रोज झूठ बोलता हो, बेईमानी का आदर्श गढ़ता हो और उसकी बेईमानी पर तालियां बजाने वाले अंधभक्तों का समूह हो, उस देश में ईमानदारी वैâसे टिक सकती है? पिछले दस वर्षों में देश और अधिक बेईमान हो गया है और इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार जिम्मेदार है। भाजपा ने चुनावी बॉन्ड घोटाले में भ्रष्ट तरीकों से कम से कम १०,००० करोड़ रुपए कमाए और वो उसी पैसे से चुनाव लड़ रही है। फिर भी हम कितने ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले हैं इस तरह का भ्रम श्रीमान मोदी पैदा कर रहे हैं। मोदी ने आधा देश अडानी जैसे दोस्तों को बेच दिया और उसके लिए नियम-कानून बदल दिए। सार्वजनिक उपक्रमों को तो बेच ही डाला। ये सभी सार्वजनिक उद्यम पंडित नेहरू के समय में बनाए गए थे। फिर भी मोदी अपने भाषण में नेहरू को अपराधी ठहराते हैं। वे पिछले दस वर्षों में उनके नेतृत्व में देश में हुई लूट के बारे में बात नहीं करते हैं। नेतृत्व की ये बेईमानी पूरे देश को बेईमान बनाती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अब तक भाजपा का पालन-पोषण किया। संघ प्रचारक भाजपा को सत्ता में लाने के लिए जुटे रहे। क्या संघ की वजह से भाजपा को इसलिए सत्ता मिली कि मोदी अपने उद्योगपति मित्रों को देश बेच दें? लेकिन अब भाजपा अध्यक्ष डॉ. नड्डा ने एलान किया कि हमारे दृष्टिकोण से संघ की जरूरत खत्म हो गई है और भाजपा सक्षम है। ये एक तरह की बेईमानी ही है, क्योंकि भाजपा सोचती है कि देश के सभी लोग मर्त्य मानव हैं और मोदी अजर-अमर देव हैं। भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा, ‘पुरी के भगवान जगन्नाथ मोदी के भक्त हैं।’ यानी मोदी देवों के देव हैं। हम भगवान ही हैं। मोदी को खुद लगता है कि वह अवतारी पुरुष हैं और उनके हाथ में सुदर्शन चक्र है। मोदी कहते हैं कि उन्हें ईश्वर ने ही भेजा है। उनके पास जो ऊर्जा है वह बायोलॉजिकल शरीर से नहीं मिल सकती। मैं कुछ नहीं हूं। मैं केवल एक इंस्ट्रूमेंट हूं इसलिए मैं जो कर रहा हूं वह ईश्वर मेरे से करवाना चाहता है। यानी ईश्वर ने मुझे पृथ्वी पर जग के कल्याण के लिए भेजा है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने ‘शगूफा’ छोड़ा है, लेकिन इस देवों के देव ने अवतार लेकर १० वर्षों में देश की जो वाट लगा दी है उसका क्या? ८५ करोड़ लोग बेरोजगार हैं, उन्हें प्रति व्यक्ति ५ किलो अनाज देना एक प्रकार की गुलामी है। देवों के देव इस गुलामी को सहते हैं। लोगों के पास रोजगार नहीं है, देवाधिदेव ने गरीबी दूर करने की आकाशवाणी की थी जो हवा में उड़ गई। देव प्रदेश लद्दाख, अरुणाचल में लाल राक्षसों की फौज घुस गई और देव सेना इस पर कुछ भी नहीं बोल रही है। देवाधिदेव संविधान को नहीं मानते और चित्रगुप्त का बही खाता हाथ में लेकर अपने विरोधियों का झूठा लेखा-जोखा लिखकर उन्हें सीधे जेल में डाल रहे हैं। उन्होंने बेईमान लोगों को वश में करके, उन्हें धमकाकर अपना राज्य स्थापित किया और शिवसेना जैसे धर्मरक्षक संगठनों पर हमला कर बता दिया कि वह किस राक्षसी तरीके से सत्ता चला रहे हैं। रोज हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झगड़े पैदा करना और अगले दिन उनके मन में मुसलमानों के लिए प्यार है इस तरह का झूठ बोलना, बेईमानी की पराकाष्ठा है। मोदी नाम का देव पंद्रह लाख का सूट पहनता है, दिन में दस बार कपड़े बदलता है। वह बीस हजार करोड़ के विमान और पचास करोड़ की कार में घूमता है। यह ईमानदारी की निशानी निश्चित ही नहीं। दुनिया के १८० सबसे भ्रष्ट और ईमानदार देशों की फेहरिस्त देखें तो ईमानदार देशों की सूची में भारत का स्थान हमेशा गिरता ही रहा है। स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, जर्मनी, लक्जमबर्ग, ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, जापान, भूटान, ताइवान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में अच्छा प्रदर्शन किया है। यह दुखद है कि भारत को ईमानदार देशों की सूची में ढूंढना पड़ता है और इसे सबसे भ्रष्ट, बेईमान के तौर पर गिना जाता है। जो देश स्वयं को हिंदू मानता है और जिस देश में सत्य और धर्म की रक्षा के लिए महाभारत और रामायण जैसे युद्ध लड़े गए, उस देश को आज झूठा या बेईमान कहा जाए तो दुख होता है। पुणे की सड़कों पर एक शराबी युवक ने अपनी तेज रफ्तार कार से युवक-युवती को कुचल दिया। शराबी युवक को बचाने के लिए पुलिस ने उसके खून का नमूना बदल दिया और अजीत पवार के ‘फंटर’ विधायक टिंगरे उस शराबी लड़के को बचाने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंच गए। एक बेईमान को बचाने के लिए पूरे सिस्टम को भ्रष्ट और बेईमान बनाने का उद्योग मोदी के अमृत काल में बढ़ा। क्योंकि कौन क्या बिगाड़ेगा? इसी उन्मत्त मनोवृत्ति को पाला-पोसा जा रहा है। मोदी ने देश के सभी भ्रष्ट और बेईमान लोगों को अपने घर में बैठा लिया है। मोदी का कहना है कि उन्हें ईश्वर ने ही भेजा है, लेकिन मोदी काल में देश का देवत्व खत्म हो गया है। धर्म भ्रष्ट हो गया है, सत्य निस्तेज हो गया है। विश्वासघात का बोलबाला बढ़ गया है। घर-घर में झगड़े और कलह पैदा कर मोदी नाम का अवतारी पुरुष मंजीरे बजाता रहा। सिर्फ पैसा ही देश के कुछ लोगों की ताकत बन गया है और उन्हीं पैसे वालों के दम पर मोदी को देवत्व प्रदान करने की जद्दोजहद चल रही है। देश में पैसा है, लेकिन नितिन गडकरी जैसे नेता ईमानदारी खत्म होने का खेद व्यक्त कर रहे हैं। रावण और कंस ने ईमानदार लोगों को वैâद कर लिया और राज किया। फिर भी रावण और कंस मारे गए, क्योंकि सत्य नहीं मरता। भारत में भी सत्य नहीं मरेगा। विष्णु के झूठे अवतार को इसका एहसास ४ जून के बाद होगा। भारत और सत्य का अटूट रिश्ता है। ईमानदारी भारत का झंडा है। वह हमेशा लहराता रहेगा!