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संपादकीय : ये बेमुरव्वत मजनूं! …लाड़ली बहनों को धमकियां

लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की बेकायदा सरकार की करारी शिकस्त हुई। पैसे का उपयोग करके शिंदे गुट कुछ सीटें हासिल करने में कामयाब रहा। इसलिए राज्य सरकार ने अब इसी पैसे का इस्तेमाल कर वोट खरीदने का फंडा के तौर पर ‘लाड़ली बहन’ योजना की घोषणा की है। कुल मिलाकर योजना यह है कि सरकारी खजाने से बहनों के खाते में १,५०० रुपए प्रति माह जाएंगे और बदले में ये बहनें असंवैंधानिक सरकार के लिए वोट करें। यानी यह सरकारी पैसे से वोट खरीदने की योजना है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सत्ता पक्ष के विधायक और नेता ऐसे बयान देकर लाड़ली बहनों को धमकाने लगे हैं। सरकार के एक बेमुरव्वत मजनूं विधायक रवि राणा ने अमरावती में एलान किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुझे ही वोट दें, नहीं तो ‘लाड़ली बहन’ योजना के १,५०० रुपए आपके खाते से निकाल लूंगा। इसे एक धमकी ही कहा जाना चहिए। अमरावती की सुजान जनता द्वारा भाजपा की प्रिय बहन और रवि भाऊ की प्रिय पत्नी नवनीत राणा की दारुण हार के बाद से, राणा महाशय ने अपना संतुलन खो दिया है और निर्वाचन क्षेत्र में बहनों को धमकी देने लगे हैं। राणा के बाद शिंदे गुट के विधायक महेश शिंदे ने भी ऐसे ही फुत्कार मारी है। महाशय ने धमकी दी है, ‘अगर विधानसभा चुनाव में खिलाफत की गई तो ‘लाड़ली बहन’ योजना से नाम हटा देंगे।’ दरअसल पैसा सरकार का है, योजना सरकार की है। फिर ये सरकारी पैसा किसी मुख्यमंत्री महोदय की जेब से नहीं आया। इसलिए इस सरकारी योजना का लाभ बहनों को मिलना चाहिए, लेकिन सरकार की पार्टी के लोग इस तरह से फुफकार मार रहे हैं कि पैसों के बदले वोट दो। सिर्फ रवि राणा ही नहीं बल्कि सत्ताधारी दलों के कई विधायक, मंत्री और अधिकारी भी इसी सुर में बोल रहे हैं। चुनाव आयोग को इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने ८० करोड़ गरीबों को ५ किलो मुफ्त अनाज देने की योजना शुरू की। प्रधानमंत्री मोदी हालिया लोकसभा में ऐसे वोट मांग रहे थे जैसे कोई एहसान कर रहे हों। श्रीमान मोदी प्रचार में कह रहे थे कि मैं आपको पांच किलो अनाज मुफ्त में दे रहा हूं, आप मुझे वोटों का आशीर्वाद दीजिए, लेकिन मोदी को पांच किलो अनाज के बदले वोट नहीं मिला। अब ऐसा नहीं लगता कि महाराष्ट्र में भी कुछ अलग होगा। ऐसे में जब महाराष्ट्र पर कर्ज का पहाड़ है, शासकों ने चुनाव को देखते हुए ‘लाड़ली बहन’ जैसी योजनाओं की घोषणा की। लोकसभा चुनाव में हार से सरकार को अपनी प्यारी बहनों की याद आ गई। सच तो यह है कि शिंदे सरकार के दौरान कई लाड़ली बहनों के साथ अन्याय और उन पर अत्याचार हुआ है। ठाणे में शिंदे गुट में शामिल होने से इनकार करने वाली कई महिला शिवसैनिकों के घरों और छोटे व्यवसायों पर बुलडोजर चलाकर मुख्यमंत्री शिंदे ने पहले ही अपना असली चेहरा उजागर कर दिया है। महाराष्ट्र ने ये सब खुली आंखों से देखा है। ‘लाड़ली बहन’ योजना में कई नियम और शर्तों से गुजरने के बाद पल्लू में में सिर्फ १,५०० रुपए आएंगे और इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह पैसा बाद में भी मिलता रहेगा। इसलिए ये सरकार विधानसभा में हारेगी और लाड़ली बहनें इन्हें हराएंगी। १,५०० रुपए में मुख्यमंत्री और उनकी टोली घर का चूल्हा जलाकर दिखाए। जब रेटकार्ड के मुताबिक दलबदलू नगरसेवकों को ५ करोड़, पदाधिकारियों को कम से कम दो करोड़, विधायक-सांसदों को ५० से १०० करोड़ है, तो राज्य की लाचार लाड़ली बहनों को १,५०० रुपए देना कहां का न्याय है? इसलिए राज्य की बहनें फिलहाल ये १,५०० रुपए जरूर लें, लेकिन निश्चिंत रहें कि राज्य में ‘ठाकरे’ सरकार आते ही इस १,५०० में भारी बढ़ोतरी होगी। रवि राणा जैसे सरकारी बेमुरव्वत मजनूं का लाड़ली बहनों के खातों से पैसे निकालने की बात करना सभी लाड़ली बहनों का अपमान है। क्या यह पैसा उसके बाप-दादाओं का है या सरकारी लूट का है? ये सवाल महाराष्ट्र पूछ रहा है। शिंदे का साम्राज्य धन का साम्राज्य है। पैसे से बना राज्य दुराचारियों का राज्य होता है। यदि ऐसा न होता तो लाड़ली बहनों का इतना अपमान न होता। एक ओर बहन कहकर हर माह १,५०० देने का सरकार दिखावा कर रही है और दूसरी ओर हमें वोट नहीं दिए तो ये पैसे तुम्हारे खातों से निकाल लेंगे, ‘लाड़ली बहन’ योजना से नाम हटा दिया जाएगा, ऐसी धमकियां सत्ता पक्ष के बेमुरव्वत मजनूं दे रहे हैं। जिसके चलते शिंदे सरकार की असली ‘नीयत’ सामने आ गई है। राज्य की सभी बहनें सही समय पर इस अपमान का उचित बदला लेंगी, हमारे मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं!

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