सामना संवाददाता / पटना
पूर्व केंद्रीय मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) ने पार्टी की घोषणा करने के बाद जिस तरह उन्होंने इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून और बिहार के शिक्षा के बदतर हालात पर सवाल उठाए उससे साफ है कि राजनीति में उनके निशाने पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ही रहेगी। बता दें कि नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह दोनों नालंदा जिले से ही आते हैं।
माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह जिस तरह से नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना कर रहे है, उससे साफ है कि नीतीश की मुश्किलें बढ़ेंगी। आरसीपी सिंह ने नई पार्टी बनाकर नीतीश कुमार के लव-कुश वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। आरसीपी सिंह ने दिवाली के दिन अपनी नई पार्टी ‘आप सबकी आवाज’ (आसा) बनाने का एलान कर दिया है। उन्होंने दीपावली के दिन अपनी पार्टी की घोषणा कर बिहार की राजनीति में हलचल तो मचा दी है। हालांकि, यह तय माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह की पार्टी कुछ पार्टियों के नुकसान का कारण तो बन ही सकती है। आरसीपी की नई पार्टी ‘आसा’ से जहां उनकी उम्मीदें हैं तो वहीं जदयू को इससे निराशा हो सकती है। ‘आसा’ से नीतीश कुमार को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में निराशा का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को आरसीपी की पार्टी ‘आसा’ से मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने की आशा दिखने लगी है। राजद को लगने लगा है कि अगर कोइरी-कुर्मी वोट बैंक में बिखराव होगा तो राजद को इससे फायदा पहुंच सकता है। कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव के कुछ करीबी आरसीपी सिंह के संपर्क में हैं। इस बीच सियासी गलियारों में तो चर्चा यह भी चलने लगी है कि आरसीपी साल २०२५ में नीतीश कुमार के लिए ‘चिराग पासवान’ साबित हो सकते हैं।