सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी दलों के प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल करने के साथ ही प्रचार अभियान की शुरुआत भी कर दी है। वोटिंग का दिन नजदीक आने के साथ टेंशन भी बढ़ती जा रही है। इन सबके बीच चुनाव आयोग की ओर से गैर अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक तुगलकी फरमान जारी किया गया है। इस फरमान के तहत चेतावनी दी गई है कि चुनावी सिलेबस पढ़ो वर्ना सलाखों के पीछे जाने के लिए तैयार रहो। आदेश में कहा गया है कि पोलिंग ड्यूटी की ट्रेनिंग अनिवार्य है और इसमें शामिल नहीं होने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। अब अगर ऐसा होता है तो फिर इन शिक्षकों को जेल जाना पड़ सकता है।
पता चला है कि कई शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। दूसरी तरफ मुंबई के उपनगरों के कई स्कूलों ने चुनावी ड्यूटी के लिए अपने कर्मचारियों की मांग पर चिंता भी व्यक्त की है।
ट्रेनिंग सत्र में क्यों नहीं हुए शामिल?
शिक्षकों को चुनाव आयोग भेज रहा है नोटिस
चुनाव आयोग ने बड़ी संख्या में शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में लगाने का फरमान जारी किया है। अंधेरी के ओशिवरा में एक स्कूल के करीब ३५ शिक्षकों को भी ट्रेनिंग में शामिल न होने के लिए कारण बताओ नोटिस मिला है। नोटिस में २४ घंटे के भीतर जवाब मांगा गया है। इसमें कहा गया है कि जवाब न देने पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। शिक्षक ने कहा कि हम लिखित में जवाब देंगे।
बता दें कि चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने गैर अनुदानित स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की मांग करते हुए सभी को पोलिंग ट्रेनिंग लेने का निर्देश दिया गया है। ट्रेनिंग न लेनेवाले शिक्षकों पर जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिेए गए हैं। कई मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही कुछ को एफआईआर का भी सामना करना पड़ रहा है। मुंबई पश्चिम उपनगर में मौजूद चिल्ड्रेंस एकेडमी समूह के ४५० में से ३५० शिक्षण कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी के लिए बुलाया गया है। समूह के चेयरमैन रोहन भट्ट के मुताबिक, हमारे कई शिक्षक प्रशिक्षण में शामिल हुए, लेकिन इनमें से कुछ नहीं शामिल हो सके तो उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा गया। हालांकि, कई शिक्षक अब कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। बोरीवली के एक प्रसिद्ध गैर सहायता प्राप्त स्कूल के एक शिक्षक ने चुनाव ड्यूटी के लिए एक ही शिक्षण स्टाफ को बार-बार बुलाए जाने पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कई शिक्षक चिंतित हैं कि इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनावों के दौरान शुरू हुई यह प्रथा भविष्य के चुनावों के लिए भी चिंताजनक मिसाल कायम कर सकती है। ऐसे में इस बार हममें से अधिकांश ने न जाने का पैâसला किया है, क्योंकि हमें डर है कि अब से हमें हर चुनाव में बुलाया जाएगा। पवई के एक स्कूल के एक अन्य शिक्षक ने सवाल किया कि गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को चुनाव ड्यूटी के लिए क्यों निशाना बनाया जा रहा है? बहुत सारे सरकारी कार्यालय, एजेंसियां और यहां तक कि अन्य स्कूल भी हैं। गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को अपने कर्मचारियों को भेजने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? हम इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। शिक्षक ने कहा कि हमें कारण बताओ नोटिस मिले हैं, लेकिन हमारे पास पहले से ही भारी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कार्यभार है। मुंबई उपनगर जिले के जिलाधिकारी व जिला मुख्य चुनाव अधिकारी राजेंद्र क्षीरसागर ने कहा है कि जिन्हें चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था और जो प्रशिक्षण में शामिल नहीं हुए, उन्हें हमने स्कूल और कॉलेजों के शिक्षकों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों को भी नोटिस भेजा है। मुंबई उपनगर क्षेत्र में करीब ७,५७४ बूथ होंगे और हमें चुनाव कराने के लिए कम से कम ५०,००० कर्मचारियों की जरूरत है।