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चुनावी चंदा बना गले की फांस : बुरे फंसे भाजपा नेता जबरन वसूली में सब जाएंगे जेल! …कोर्ट ने दिया एफआईआर दर्ज करने का आदेश

सामना संवाददाता / मुंबई
चुनावी चंदा का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। यह मामला केंद्र की भाजपा सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। जबरन चुनावी चंदा वसूलने के मामले में भाजपा के कई बड़े नेता फंसते नजर आ रहे हैं। कर्नाटक के एक कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। खबर के अनुसार, इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रमुख आरोपी हैं। इसके अलावा वसूली में शामिल अन्य बड़े भाजपा नेताओं में नलिन कटील और बीवाई विजयेंद्र हैं। एफआईआर के आदेश के बाद इन सभी नेताओं के जेल जाने का योग बन गया है।
बता दें कि बंगलुरु की एक स्पेशल कोर्ट ने २७ सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। वित्त मंत्री पर चुनावी बॉन्डस् के जरिए जबरन वसूली का आरोप लगाया गया है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के आदर्श अय्यर ने बंगलुरु के कोर्ट में शिकायत दर्ज कर निर्मला सीतारमण के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई व कोर्ट ने बंगलुरु के तिलक नगर पुलिस स्टेशन को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। अगली सुनवाई १० अक्टूबर को होगी।

जबरन वसूली में आया नाम 
सीतारमण पर
इस्तीफे का दबाव!
भाजपा की हो रही है भारी किरकिरी

भाजपा नेताओं के खिलाफ जबरन चंदा वसूली की शिकायत गत अप्रैल में की गई थी। ४२वीं एसीएमएम कोर्ट में दायर याचिका में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, तत्कालीन भाजपा कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, भाजपा विधायक बीवाई विजयेंद्र के नाम शामिल हैं। शिकायत में कहा गया है कि अप्रैल २०१९ से अगस्त २०२२ तक व्यवसायी अनिल अग्रवाल की फर्म से लगभग २३० करोड़ रुपए और अरबिंदो फार्मेसी से ४९ करोड़ रुपए चुनावी बॉन्ड के जरिए वसूले गए। इस खबर के सामने आने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्रीय वित्त मंत्री के इस्तीफे की मांग की है।
गत १५ फरवरी २०२४ को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, यह स्कीम और बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने एसबीआई और चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह चुनावी बॉन्ड से जुड़ा पूरा डेटा सार्वजनिक करे। २१ मार्च को डेटा सामने आया। इसमें पता चला था कि २०१८ से २०२३ तक देश की ७७१ कंपनियों ने ११,४८४ करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे। ट्रेडिंग कंपनियों ने सबसे ज्यादा २,९५५ करोड़ रुपए सियासी दलों को दिए। डेटा सार्वजनिक होने के बाद जुलाई २०२४ में भी कॉर्पोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की जांच एसआईटी से करवाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। वित्त मंत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले कहा था, स्कीम वापस लाएंगे। लोकसभा चुनाव से पहले वित्त मंत्री ने बॉन्ड स्कीम को दोबारा लाने का संकेत दिया था। निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर हम सत्ता में आए तो चुनावी बॉन्ड स्कीम को फिर से वापस लाएंगे। इसके लिए पहले बड़े स्तर पर सुझाव लिए जाएंगे। हालांकि, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने उनके इस बयान पर कहा था, अब भाजपा लोगों को और कितना लूटना चाहती है। बता दें कि २०१७ के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को पेश किया था। २ जनवरी २०१८ को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रोमिसरी नोट होता है, जिसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।
इस योजना को २०१७ में ही चुनौती दी गई थी, लेकिन सुनवाई २०१९ में शुरू हुई। बाद में दिसंबर, २०१९ में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया था।

वसूली में शामिल भाजपाई
– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
– भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा
– भाजपा नेता नलिन कटील
– भाजपा नेता बीवाई विजयेंद्र

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