सामना संवाददाता / अमदाबाद
अपने हक के लिए पिछले कई महीने से कट्टर इस्लामी देश ईरान में खवातीन कट्टर इस्लामी कानूनों का जोरदार विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं। वे वहां हिजाब का विरोध कर रही हैं। इधर हिंदुस्थान में एक जामा मस्जिद के इमाम महाशय मुस्लिम महिलाओं के बारे में कुछ अलग ही राग अलाप रहे हैं। अमदाबाद जामा मस्जिद के शाही इमाम का कहना है कि खवातीन का चुनाव लड़ना इस्लाम के खिलाफ है।
बता दें कि गुजरात में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग से ठीक एक दिन पहले अमदाबाद की जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने यह बड़ा बयान दिया है। सिद्दीकी ने चुनावों में मुस्लिम महिलाओं को टिकट देने पर आपत्ति जताते हुए इसका खुलकर विरोध किया है। उन्होंने इसे इस्लाम के खिलाफ बताया है। इमाम ने इसे इस्लाम को कमजोर करने की साजिश करार दिया है। सिद्दीकी ने कहा कि इस्लाम को कमजोर किया जा रहा है। क्या कोई मर्द नहीं बचा है टिकट के लिए? शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने कहा, इस्लाम की बात आई है तो बताना चाहेंगे कि अभी यहां लोग नमाज पढ़ रहे हैं। क्या एक भी खातून नजर आई? इस्लाम में सबसे ज्यादा अहमियत नमाज को है। अगर खवातीन का इस तरह से लोगों के सामने आना इस्लाम में जायज होता तो उनको मस्जिद से नहीं रोका जाता। मस्जिद से क्यों रोक दिया गया क्योंकि खवातीन का इस्लाम में एक मकाम है। इसलिए जो कोई भी खवातीन को टिकट देते हैं, वे इस्लाम के खिलाफ बगावत करते हैं। इस्लाम के खिलाफ उनका ये अमल है। मर्द नहीं हैं क्या… जो आप खवातीन को ला रहे हैं? इससे हमारा मजहब कमजोर होगा। ये इसलिए कमजोर होगा… क्योंकि कल कर्नाटक में हिजाब का मसला चला। हंगामा हुआ।
जाना होगा हिंदुओं के घर
इमाम ने मीडिया से कहा, अब जाहिर बात है, अगर आप अपनी खवातीन को एमएलए, काउंसलर बनाएंगे, बिना मजबूरी के तो फिर उससे क्या होगा? हम हिजाब को महफूज नहीं रख सकेंगे। ये मसला नहीं उठा पाएंगे क्योंकि हुकूमत कहेगी कि आपकी खवातीन तो अब असेंबली और पार्लियामेंट में आ रही हैं। स्टेज पर अपील कर रही हैं। इलेक्शन में वोट के लिए घर-घर जा रही हैं। हिंदुओं और अन्य लोगों के घर भी जाना पड़ेगा। इस्लाम में खवातीन की आवाज भी खवातीन है इसलिए मैं इसका सख्त विरोधी हूं।