मुख्यपृष्ठनए समाचारहाथी मेरे साथी! मगर दांत के लिए जारी है शिकार

हाथी मेरे साथी! मगर दांत के लिए जारी है शिकार

  • ५ वर्षों में ४७५ किलो दांत हुए जब्त

जंगल में रहनेवाले हाथी अचानक सुर्खियों में आ गए, जब हाल ही में इनके ऊपर बनी एक फिल्म को ‘ऑस्कर’ अवॉर्ड मिला। इस फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ को अब हर कोई देखना चाहता है। लेकिन क्या हाथियों के साथ असल में इतना अच्छा व्यवहार किया जा रहा है? तो जवाब है नहीं। हिंदुस्थान में अब भी हाथी दांत के लिए हाथियों का शिकार किया जा रहा है।
देश में साल १९८६ से ही हाथी दांत की तस्करी पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद इसका अवैध व्यापार फल-फूल रहा है। आंकड़ों के अनुसार साल २०१८ से २०२२ तक पांच वर्षों में देश भर में ४७५ किलो हाथी दांत और इसकी कलाकृतियां जब्त की गई हैं। अब हाथियों को मारा जा रहा है, तभी तो उनके दांत मिले। देश के चोर बाजारों में हाथियों का शिकार और हाथी दांत का व्यापार बदस्तूर जारी है। हाथी दांत की बढ़ती मांग पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह हो सकती है, खासकर हाथियों की आबादी के लिए।
२०१८ से २०२२ तक ४१ हाथी मार डाले गए। इनमें से आधे हाथी मेघालय (१२) और ओडिशा (१०) में मारे गए। शिकार के अलावा पिछले पांच साल में २५ हाथियों को जहर दे दिया गया। संख्या के मामले में जानकारों का कहना है कि आंकड़े भ्रामक हो सकते हैं क्योंकि शिकार के कई मामले दर्ज भी नहीं किए जाते हैं। ‘सेव द एलिफेंट्स’ के आंकड़ों के अनुसार इधर कुछ वर्षों में अवैध बाजार में हाथी दांत की कीमतें बढ़ रही हैं। हाथी दांत के प्रमुख बाजारों में से एक चीन में इसकी थोक कीमतें चढ़ गई हैं। २०१७ में जहां यह ७५० डॉलर प्रति किलोग्राम था, वहीं २०२० में इसकी कीमत दोगुनी हो गई। अवैध हाथी दांतों के प्रमुख देश चीन, जापान, थाईलैंड, हांगकांग, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और वियतनाम हैं।

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