• ३२ स्टेशनों में से मात्र ६ स्टेशनों पर शुरू थी मेडिकल सुविधा
• २४ घंटे सुविधा देने का हाईकोर्ट का है आदेश
अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबई लोकल से यात्रा के दौरान कई बार यात्रियों के घायल होने या बीमार होने की घटनाएं होती हैं। ऐसे में उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार मिल सके, इसके लिए हर स्टेशन पर इमरजेंसी मेडिकल सुविधा २४ घंटे उपलब्ध कराने का आदेश मुंबई हाईकोर्ट ने २००९ में रेलवे को दिया था। इसके बावजूद पश्चिम रेलवे और मध्य रेलवे के अधिकतर स्टेशनों पर २४ घंटे मेडिकल सेवा उपलब्ध नहीं होने की खबर को `दोपहर का सामना’ में १३ मार्च को प्रकाशित किया गया था। इस खबर के बाद नींद से जागे रेलवे प्रशासन ने मेडिकल ऑपरेटरों को नोटिस भेजकर इमरजेंसी सेवा २४ घंटे चालू रखने का आदेश दिया।
बता दें कि रेलवे एक्टिविस्ट समीर झवेरी द्वारा आरटीआई के जरिए स्टेशनों पर उपलब्ध इमरजेंसी मेडिकल सुविधा के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद खुलासा हुआ था कि पश्चिम रेलवे के ३२ स्टेशनों में से मात्र ६ स्टेशन पर इमरजेंसी मेडिकल सेवा २४ घंटे उपलब्ध है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पश्चिम रेलवे द्वारा मुंबई हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लघंन किया जा रहा है। ऐसे ही रात के समय इमरजेंसी सुविधा बंद होने की एक फोटो कांदिवली यात्रा करने वाले यात्री नेहल देसाई ने साझा कर बताया कि रात में घर जाते वक्त उनकी तबीयत थोड़ी खराब लगी। जब वो इमरजेंसी मेडिकल रूम की तरफ रुख किया तो उस वक्त रेलवे द्वारा दी जाने वाली सुविधा समय से पहले बंद हो गई थी। इतना ही नहीं, उल्हासनगर स्टेशन पर इमरजेंसी सेवा बंद होने पर यात्रा करने वाले यात्री चिराग ने एक लिखित शिकायत की थी।
मददगार साबित होगा
शिकायतों की खबर प्रकाशित होने के बाद रेलवे ने इसे संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई की बात कही है। रेलवे द्वारा नोटिस जारी कर २४ घंटे सेवा उपलब्ध नहीं होने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इस चेतावनी से घबराए ऑपरेटरों ने अब २४ घंटे सेवा देना शुरू कर दिया है। रेलवे एक्टिविस्ट समीर झवेरी ने बताया कि यात्रियों के लिए २४ घंटे मेडिकल सुविधा होनी ही चाहिए। कोर्ट का आदेश भी है। २४ घंटे सेवा उपलब्ध नहीं रखना कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। यह सुविधा घायल यात्रियों की जान बचाने में काफी मददगार साबित होगी।