१० खालिस्तानी समर्थक हैं कैद
इन दिनों पूर्वोत्तर की एक जेल अचानक सुर्खियों में आ गई है। ये है डिब्रूगढ़ की जेल। पंजाब से गिरफ्तार किए गए खालिस्तानी समर्थकों को यहीं भेजा जा रहा है। असम की यह डिब्रूगढ़ जेल १६६ साल पुरानी है। आखिर इस जेल में ऐसी क्या खास बात है कि खालिस्तानी समर्थकों को यहां भेजा जा रहा है?
डिब्रूगढ़ जेल को १८५७ में देश की आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले हिंदुस्थानियों को रखने के लिए बनाया गया था। पूर्वोत्तर में कंक्रीट से बनी ये पहली जेल है। हालांकि, आजादी के बाद इसमें देश के खिलाफ काम करने वाले कई कुख्यात कैदियों को रखा गया है। इसमें उल्फा के उग्रवादियों से लेकर अब खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों को रखा जाना शामिल है।
इन सभी कैदियों को जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। हालांकि अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद जेल की सुरक्षा और भी ज्यादा कड़ी कर दी गई है। एक महीने पहले तक असम की डिब्रूगढ़ जेल ६ केंद्रीय जेलों में से बस एक जेल थी, लेकिन एक महीने में यह सबसे हाई सिक्योरिटी जेल में तब्दील हो गई है। जेल में इस समय सीआरपीएफ के जवान चारों तरफ तैनात हैं। इसके साथ ही असम पुलिस के कमांडो भी हैं। ५७ सीसीटीवी वैâमरों से जेल के अंदर कैदियों और जेल गेट पर कैदियों मिलने के लिए आने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
किससे मिलने की अनुमति
कैदियों को सप्ताह में दो बार अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की अनुमति होती है, लेकिन जो ‘रासुका’ के तहत बंद होते हैं, उन्हें इसके लिए जिला अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। खालिस्तान समर्थक बंद कैदियों से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकारियों ने मुलाकात की थी। हालांकि, इनके परिवार से कोई मिलने नहीं आया है।
इसलिए भेजे गए डिब्रूगढ़
खालिस्तानी समर्थकों को जब गिरफ्तार किया गया था तब पंजाब सरकार ने शुरू में इन सभी को तिहाड़ जेल में भेजने के बारे में सोचा था, लेकिन दिल्ली की जेल में कई पंजाबी गैंगस्टर बंद हैं। यही नहीं, कुछ अलगाववादी भी तिहाड़ में हैं। ऐसे में इनके बीच आपस में संपर्क हो सकता था, इसलिए सभी को असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजने का फैसला किया गया।
कैद में १० खालिस्तानी समर्थक
अमृतपाल को मिलाकर अब इस जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक कैदियों की संख्या १० हो चुकी है। ये सभी जेल में एकमात्र ऐसे कैदी हैं जिन्हें ‘रासुका’ के तहत रखा गया है। इन्हें दूसरे कैदियों से बात करने की इजाजत नहीं है। इन सभी को यहां से लगभग ३,००० किमी दूर अमृतसर से लाया गया है।