– निजी चिकित्सा के भरोसे रहना चाहती है सरकार
– छात्र और डाक्टर हुए विद्रोही, शुरू की अनिश्चितकालीन हड़ताल
सामना संवाददाता / मुंबई
‘घाती’ सरकार के राज में इंसान तो इंसान जानवर भी बेहाल हो गए हैं। इसी में यह सरकार निजी पशु चिकित्सा कॉलेज शुरू करने जा रही है। सरकार के इस पैâसले के खिलाफ छात्र और डॉक्टर आक्रामक हो गए हैं और पिछले सात दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं। इसके चलते दोनों अस्पतालों के ओपीडी बंद हैं। छात्रों की हड़ताल का असर चिकित्सा सेवाओं पर पड़ रहा है। आलम यह है कि मजबूरन लोगों को अपने पालतू जानवरों का इलाज निजी पशु चिकित्सा अस्पतालों में कराना पड़ रहा है।
राज्य में पशु चिकित्सा महाविद्यालयों के ४,००० छात्र पिछले गुरुवार से हड़ताल पर चले गए हैं। इसमें मुंबई के परेल और गोरेगांव पशु चिकित्सा मेडिकल कॉलेजों का भी समावेश है। उनकी मांग है कि निजी पशु चिकित्सा महाविद्यालय शुरू करने की बजाय प्रस्तावित सरकारी पशु चिकित्सा महाविद्यालय शुरू किया जाए। साथ ही निजी महाविद्यालय शुरू करने की दी गई अनुमति पर पुनर्विचार किया जाए। सरकार निजी कॉलेजों को अनुमति देकर पशु चिकित्सा शिक्षा का निजीकरण कर रही है और छात्र इस फैसले को जल्द से जल्द वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
छात्रों की घाती सरकार को चेतावनी
पशु चिकित्सा छात्र निजी पशु चिकित्सा कॉलेजों को अनुमति देने वाले कानून को रद्द करने के लिए लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि हमारी हड़ताल पिछले सात दिनों से चल रही है। राज्य में कुल छह पशु चिकित्सा महाविद्यालय हैं। इसके सुधारने की बजाय सरकार ने निजी पशु चिकित्सा महाविद्यालय शुरू करने का निर्णय लिया है। मौजूदा कॉलेजों की खराब हालत को देखते हुए छात्रों ने चेतावनी दी है कि कॉलेजों में सुधार किया जाए और निजी अस्पताल बनाने का पैâसला तुरंत वापस लिया जाए अन्यथा अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।
ओपीडी में ८० से १०० पशु-पक्षियों का होता है इलाज
परेल और गोरेगांव पशु अस्पताल की ओपीडी में रोजाना ८० से १०० पशु-पक्षियों की जांच की जाती है। इसमें टीकाकरण, नियमित जांच, बीमार जानवर, पक्षी शामिल हैं। लेकिन पिछले सात दिनों से अस्पताल में इलाज कराने के लाए जा रहे पशु और पक्षियों को वापस भेजा जा रहा है।