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अटल सेतु भी कम नहीं कर पाया ट्रैफिक का दबाव … ७ महीनों में महज ५० लाख वाहनों की आवाजाही

सामना संवाददाता / मुंबई
अटल सेतु, जिसे १२ जनवरी २०२४ को प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित किया गया था और १३ जनवरी से यातायात के लिए खोला गया था, इसने मुंबई की यातायात व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। लेकिन इसके सात महीनों में ५० लाख से अधिक वाहनों के उपयोग के बावजूद इस पुल ने कई नकारात्मक पहलुओं को भी उजागर किया है, जो शहर की परिवहन संरचना और यातायात प्रबंधन की चुनौतियों को रेखांकित करते हैं।
यह पुल, जिसे भारत का सबसे लंबा और पानी पर बना सबसे लंबा पुल माना जा रहा है, मुंबई के दक्षिणी हिस्से और पनवेल, पुणे तथा नई मुंबई जैसे प्रमुख स्थलों के बीच यातायात को सुव्यवस्थित करने के लिए बनाया गया था। लेकिन इसके बावजूद शहर में यातायात के दबाव में कमी नहीं आई है, बल्कि इस पुल के कारण अन्य हिस्सों में यातायात जाम की समस्या और बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अटल सेतु के निर्माण के बाद से दक्षिण मुंबई से नई मुंबई और पुणे के बीच की दूरी तो घट गई है, लेकिन इससे मुंबई के अन्य हिस्सों में यातायात का भार बढ़ गया है।

एमटीएचएल के कुछ हिस्सों में सड़कें खराब
पुल के उद्घाटन के कुछ महीनों बाद ही एमटीएचएल के कुछ हिस्सों में सड़कें खराब हो गई थीं। जिससे भविष्य में इसके दीर्घकालिक उपयोग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। शहर में बढ़ते यातायात के साथ ही अटल सेतु पर भारी वाहनों की आवाजाही ने इसके रखरखाव की समस्याओं को भी उजागर किया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह पुल मुंबई की यातायात समस्याओं का समाधान है या यह उन समस्याओं को और बढ़ा रहा है?

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