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रेप का इरादा था तो भी मिलेगी सजा! …‘गैंगरेप’ के मामले में मुंबई हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

-‘साझा इरादे’ का सबूत दोष साबित होने के लिए काफी
सामना संवाददाता / मुंबई
‘रेप नहीं किया लेकिन उस वक्त इरादे थे, तो भी सजा के हकदार हैं’, यह कहना है मुंबई हाई कोर्ट का। हाई कोर्ट ने नागपुर में चार लोगों द्वारा किए गए गैंगरेप के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर गैंगरेप के ‘साझा इरादे’ का सबूत है तो यह दोष साबित होने के लिए काफी है।
बता दें कि हाई कोर्ट ने गैंगरेप के चार दोषियों को २० साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने गैंगरेप में सीधे शामिल होने के कारण सजा देने के लिए रेप करना ही जरूरी नहीं माना, बल्कि गैंगरेप की नीयत रखना भी कारण माना। रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने साफ कहा कि यौन उत्पीड़न में प्रत्यक्ष भागीदारी अपराध को एस्टेबलिश करने के लिए जरूरी नहीं है। नागपुर पीठ ने गैंगरेप के लिए चारों लोगों की सजा को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सनप ने कहा, दोनों आरोपी पीड़ित को घसीटकर एक पेड़ के पीछे ले गए, जबकि बाकी दो ने पीड़ित के दोस्त को दबोच लिया। यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से उनकी ‘नॉलेज’ और इरादे को दर्शाती है जिससे वे समान रूप से दोषी बनते हैं। इन चारों को १४ जून, २०१५ को एक महिला के साथ गैंगरेप के लिए २० अगस्त, २०१८ को २० साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति गोविंदा सनप ने चार आरोपियों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया, जिन्होंने चंद्रपुर सेशन कोर्ट द्वारा दी गई अपनी सजा को चुनौती दी थी। बता दें कि महिला और उसका दोस्त एक मंदिर में दर्शन करने के बाद एक पेड़ के नीचे बैठे थे, जब आरोपियों ने वन विभाग के अधिकारी बनकर उनसे संपर्क किया और १०,००० रुपए मांगे। दोनों ने जब उन्हें भुगतान करने में अपनी दिक्कत बताई तो उनके साथ न सिर्फ मारपीट की गई, बल्कि उनके मोबाइल फोन भी छीन लिए गए। इसके बाद संदीप और शुभम ने उसके साथ गैंगरेप किया, जबकि कुणाल और अशोक ने उसके दोस्त को पकड़े रखा, ताकि वह वारदात को रोक न पाए। बाद में दोस्त ने पुलिस को सूचना दी और मेडिकल जांच में गैंगरेप की पुष्टि हुई।

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