बिजनेसमैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश में आए दिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाइयों को लेकर सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हैरानी जताई है। हाल के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी की कम सजा दर की ओर इशारा करते हुए ईडी से अपने अभियोजन और सबूतों की गुणवत्ता पर ध्यान देने को कहा। सर्वोच्च अदालत ने यह टिप्पणी गृह मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के आधार पर की।
जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने ईडी मामलों के आंकड़ों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में दिए गए एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि आपको अभियोजन और सबूतों की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। उन सभी मामलों में जहां आप संतुष्ट हैं कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है, आपको उन मामलों को अदालत में प्रूफ करने की जरूरत है। १० सालों में दर्ज ५,००० मामलों में से ४० में सजा हुई है। अब कल्पना करें।
शीर्ष अदालत की टिप्पणी
छत्तीसगढ़ के बिजनेसमैन सुनील कुमार अग्रवाल द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। सुनील को कोयला ट्रांसपोर्टेशन पर अवैध उगाही से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि इस मामले में आप कुछ गवाहों के बयानों और हलफनामों का सहारा ले रहे हैं। इस प्रकार का मौखिक साक्ष्य, कल भगवान जाने वह व्यक्ति इस पर कायम रहेगा या नहीं। आपको कुछ ठोस सबूत आधारित जांच करनी चाहिए।