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सब कुछ हो गया खत्म … राख के ढेर में जमापूंजी तलाशने में गुजर रहा दिन!

गोरखपुर अग्निकांड में एक ही आस मिल जाए सरकारी मदद

सामना संवाददाता / गोरखपुर
गोरखपुर जिले में टाउनहॉल के फर्नीचर बाजार में आग के तीसरे दिन सिर्फ बेबसी बची है। राख के ढेर में जमापूंजी के अवशेष दुकानदार खोज रहे हैं। इसी बीच एक व्यक्ति को एक जली काले रंग की चाभी मिली तो ऐसे चीखा कि जैसे कोई खजाना मिल गया हो? बोला, अरे, यह तो अलमारी की चाभी है, इसके बाद उसकी आंखें नम हो गर्इं। खामोश होकर पलटा और फिर राख के ढेर में न जाने क्या खोजने लगा। यह हाल सिर्फ बबलू का ही नहीं, बल्कि वहां पर अपना सबकुछ गंवा चुके, हर दुकानदार का था। बता दें कि ट्रांसफार्मर से निकली चिंगारी से चाय की दुकान में लगे सिलिंडर तक आग पहुंची और फिर ऐसा ब्लॉस्ट हुआ कि पूरा इलाका थर्रा गया। एक-एक कर आठ दुकानें आग की चपेट में आ गर्इं। किसी के दुकान में कुछ न बचा। सब जलकर राख हो गया। पास में ही पेट्रोल पंप और होटल भी था,जिसे बचाने की जुगत में रात हो गई। धमाका और आग की लपटे देखकर सामने का नर्सिंग हॉस्टल खाली हो गया। स्थानीय लोगों ने रात सड़क पर गुजारी, तो छात्राएं जिला अस्पताल में चली गर्इं। महिला अस्पताल की चार मंजिला इमारत के साथ ही मरीज भी नीचे आ गए थे। हादसे से लोग इतना डर गए थे कि आग बुझने के बाद भी घर नहीं गए।
मदद चाहिए, यादें भी मिट गईं
दुकानदार रविंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि हम लोगों का कुछ भी नहीं बचा है। सब कुछ आग की लपटों में खत्म हो गया है। अब सरकार से ही उम्मीद है, बिना सरकार की आर्थिक मदद के संभव ही नहीं है कि हम लोग दोबारा खड़े हो सकें। प्रवीण शर्मा ने कहा कि आग की खबर सबको लग गई है, लेकिन ग्राहक अपना कुछ भी नहीं छोड़ना चाहते हैं।

सबका एक ही सवाल- आसमान हुआ लाल
गोरखपुर में अचानक हुए विस्फोट की आवाज करीब एक किलोमीटर तक सुनी गई। कोई आसमान देखने लगा तो कोई भागकर पुलिस कंट्रोल रूम से जानने की कोशिश करता रहा कि शहर में विस्फोट तो नहीं हुआ। अचानक फोन आने से पुलिस भी परेशान हो गई कि शहर में क्या हो गया? बाद में पता चला कि टाउनहाल के पास आग लगी है। इसके बाद सभी अफसर भागे-भागे मौके पर पहुंच गए। अचानक एक आवाज आई कि सबको हटा दो, आग को रोको, पास में पेट्रोल पंप है, पीछे भालोटिया है, तबाही मच जाएगी। अब लोग एक ही सवाल कर रहे हैं कि आग लगने से आसमान लाल हो गया था। दुकान की एक दीवार तोड़कर आग को रोकने की कवायद शुरू हुई और बड़े हादसे को बचा लिया गया। लेकिन आठ दुकानों की तबाही को नहीं रोका जा सका।

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