– तीन दिवसीय हस्ताक्षर अभियान किया शुरू
– जनता का मिल रहा है भारी प्रतिसाद
सामना संवाददाता / डोंबिवली
विधानसभा चुनाव के नतीजों ने महाराष्ट्र सहित देशभर में एक बार फिर से ईवीएम को लेकर नई बहस छेड़ दी है। इसी कड़ी में डोंबिवली से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उम्मीदवार दीपेश म्हात्रे ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने ईवीएम में कथित गड़बड़ी के खिलाफ तीन दिवसीय हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है, जिसे जनता का भारी समर्थन मिल रहा है। डोंबिवली-पश्चिम में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के शहरप्रमुख प्रकाश तेलगोटे की अगुवाई में द्वारका होटल, स्टेशन क्षेत्र और अन्य प्रमुख स्थानों पर बूथ लगाए गए। इस अभियान में शहर शाखाप्रमुख राजेंद्र सावंत, विधानसभा अधिकारी आदित्य पाटील, शाखाप्रमुख राजेश पाटील, अर्जुन मोर्या समेत अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। अभियान का उद्देश्य ईवीएम की पारदर्शिता पर उठे सवालों को चुनाव आयोग तक पहुंचाना है। दीपेश म्हात्रे ने जिला चुनाव अधिकारी के पास ४ लाख ७२ हजार रुपए का भुगतान कर १० ईवीएम मशीनों की पुनर्गणना का आवेदन दिया है। उनका दावा है कि ईवीएम की खामियों के चलते मतगणना में गड़बड़ी हुई और जनादेश को प्रभावित किया गया।
जनता भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। नागरिकों ने कहा कि चुनाव परिणामों के बाद ईवीएम पर उठते सवाल लोकतंत्र के भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। सत्ता पक्ष ने ईवीएम का सहारा लेकर चुनाव परिणामों को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास किया। रवींद्र चव्हाण की जीत को लेकर उठते सवालों ने महायुति की जीत की पारदर्शिता पर संशय पैदा कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि अगर सरकार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है तो ईवीएम की जांच और पुनर्गणना में सहयोग क्यों नहीं किया जा रहा?