नंदुरबार के गांव में अनोखी मुहिम
६१२ महिलाओं ने पक्ष में डाले वोट
उत्पाद विभाग ने कराया मतदान
सुनील ओसवाल / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव जिस तरह से महायुति ने जीता है, उससे ईवीएम में गड़बड़ी होने की चर्चा ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। विपक्ष बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहा है, पर चुनाव आयोग के साथ ही सरकार भी इस पर ध्यान ही नहीं दे रही है। हाल ही में मारकडवाड़ी में ग्रामीणों ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की कोशिश की तो वहां पुलिस व प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी। मगर अब नंदुरबार के एक गांव में बैलट से वोटिंग हुई तो वहां शराबबंदी की जीत हुई।
बता दें कि एक तरफ राज्य प्रशासन और चुनाव आयोग मारकडवाड़ी में बैलट पेपर से मतदान नहीं होने दे रहे हैं। ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर सरकार घेरे में है। ऐसे में नंदुरबार जिले के शहादा तालुका के असलोद गांव में शराब के खिलाफ लड़ाई में बैलट पेपर से वोटिंग कराई गई, जिसमें महिलाओं ने बड़ी जीत हासिल की है। गांव में शराबबंदी को लेकर हुए मतदान में ६७७ महिलाओं में से ६१२ ने दारूबंदी के पक्ष में वोट देकर शराब पर रोक लगाने का रास्ता साफ कर दिया है।
बैलट पेपर से मतदान महिलाओं ने जीता मोर्चा!
मतदान के परिणाम आने के बाद गांव में जश्न का माहौल देखा गया। महिलाओं की इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयास से बड़ा बदलाव संभव है।
सरकार भले ही बैलट पेपर पर चुनाव करने की बात नहीं मान रही है, पर नंदुरबार के एक गांव में कमाल हो गया। वहां शराबबंदी के लिए बैलट पेपर पर चुनाव कराए गए तो इसमें महिलाओं की जीत हुई और गांव में शराबबंदी लागू हो गई। यहां कुल १,२१६ महिलाओं में से ६७७ ने मतदान में हिस्सा लिया। इनमें से ६१२ महिलाओं ने शराबबंदी के पक्ष में वोट दिया।
गांव की महिलाओं ने कई वर्षों से दारूबंदी की मांग की थी। शराब के कारण गांव के युवाओं और परिवारों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से तंग आकर महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस लड़ाई को शुरू किया था। गांव में शराबबंदी को लेकर मतदान कराने वाला असलोद जिला का पहला गांव बन गया है। सुबह ८ बजे मतदान शुरू हुआ। मतदान केंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतारें नजर आर्इं। मतदान के दौरान गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था। राजस्व और पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मतदान प्रक्रिया की निगरानी की। मतदान खत्म होते ही तुरंत मतगणना शुरू की गई। गांव की महिलाओं का कहना है कि शराब की वजह से परिवारों में कलह बढ़ रहा था।
एकजुट होकर किया मतदान
युवा पीढ़ी नशे की लत का शिकार हो रही थी, जिससे कई परिवार बर्बाद हो गए। इस स्थिति को रोकने के लिए गांव की सभी महिलाओं ने एकजुट होकर मतदान किया और शराबबंदी के पक्ष में निर्णय लिया। मतदान के परिणाम आने के बाद गांव में जश्न का माहौल देखा गया। महिलाओं की इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयास से बड़ा बदलाव संभव है।