सूत्रधार

जल के बहाव संग बहता
झरा पीला पात न बनो
अपने आप को सम्भालो
अपना आधार स्वयं बनो।
औरों के बनाए पद चिन्हों में
अपने पांव न फंसाओ
नक्काल बन कर नहीं
स्वयंसिद्ध बन यश पाओ।
‘मैं भी कर सकता हूं ‘
अपनी सामर्थ्य पहचानो
करो विवेचना दूसरे से ज्ञान की
अपनी पहचान कभी न भूलो।
अपनी पहचान बनाने में
अपनाओ बड़ी सोच, किंतु
प्रथम, लघु से श्री गणेश करो।
गर बनानी हो बड़ी इमारत
कुछ ईंटें पहले से जुटा कर रखो
न आये पास आपके कोई
सबके पास तुम पहुंचो।
आपदाओं में नूतन मार्ग खोजो
कदम-कदम बढ़ा कर लक्ष तक पहुंचो
खींचतान में होता समय नष्ट
सुलझे विचार अपनाओ।
टूट गए तो जोड़ेगा कौन
जुड़ने का मार्ग खोज कर लाओ
अनुभव, मेहनत, ऊर्जा का
त्रीदर्शी मंत्र को समझो।
अपने आप को अपने जीवन का
सक्षम सुत्रधार बनाओ।
-बेला विरदी

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