सामना संवाददाता / नागपुर
महाराष्ट्र में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बनी सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। खासकर, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कई मौकों पर अलग-थलग पड़ रहे हैं। उन्हें भाजपा के साथ अब अजीत पवार भी झटका दे रहे हैं। एकनाथ को दबाने के लिए फडणवीस और अजीत पवार मिल गए हैं। एकनाथ शिंदे विधान परिषद में मौजूदा उप सभापति नीलम गोर्हे को सभापति पद पर नियुक्त कराना चाहते थे, लेकिन अजीत पवार ने शिंदे गुट के खिलाफ जाते हुए भाजपा को समर्थन किया। ऐसे में शिंदे की लाख कोशिश के बाद भी यह पद उन्हें नहीं मिला, बल्कि भाजपा के राम शिंदे को निर्विरोध सभापति पद पर चुन लिया गया। कमजोर पड़े एकनाथ शिंदे को अब भाजपा के छोटे-मोटे नेता भी दबा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला विधान परिषद में गुरुवार को देखने को मिला।
सदन में निर्विरोध सभापति चुने गए राम शिंदे को दोपहर को पदभार सौंपा गया। इस दौरान सभापति राम शिंदे के अभिनंदन प्रस्ताव पर बोलते हुए फडणवीस ने जहां जमकर शिंदे और अजीत पवार की चुटकी ली। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन में राम शिंदे को बधाई दी। अभिनंदन प्रस्ताव पर बोलते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि विधान परिषद में सभापति पद पर राम शिंदे आ गए हैं और मैं इस सदन का नेता हूं। दोनों शिंदे हैं, इसलिए अब सदन में शिंदे राज चलेगा, जिस पर सदन में एकनाथ शिंदे के पीछे लाइन में बैठे भाजपा के एक नेता ने आपत्ति जताई। शिंदे पीछे मुड़कर देखने लगे, तभी देवेंद्र फडणवीस को भी लगा कि कुछ गलत हो गया है। फडणवीस ने तुरंत सुधार करते हुए कहा कि शिंदे राज नहीं सदन में लोकतंत्र का राज चलेगा। थोड़ी देर के लिए एकनाथ शिंदे चुप हो गए और फिर मुख्यमंत्री देवेंद्र की लाइन को दोहराते हुए कहा कि लोकतंत्र मजबूत होगा। उल्लेखनीय है कि एक समय था, जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री थे तो उनकी तूती बोलती थी तब यह दूसरी लाइन में बैठे छोटे-मोटे नेता उनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं करते थे। पर अब वही लोग उनके भाषण के दौरान उन्हें टोक देते हैं। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को धीरे धीरे दबा दिया है।
अजीत पवार ने मारी पलटी
विधान परिषद के सभापति पद के चुनाव के लिए बुधवार को जब भाजपा की ओर से राम शिंदे ने नामांकन दाखिल किया, तब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कहीं नजर नहीं आए। दरअसल, सभापति पद के लिए भाजपा के राम शिंदे को अपना उम्मीदवार बनाने से एकनाथ शिंदे काफी नाराज हो गए। भाजपा ने सभापति पद भी एकनाथ से छीन लिया। ऐसे में एकनाथ के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है।