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शाह के पसंदीदा मुख्यमंत्री नहीं हैं फडणवीस … गुजरात व्यापार मंडल को चाहिए शिंदे जैसा बिकाऊ राजनेता … संजय राऊत का जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
एक फुल और दो डाऊटफुल के बीच चल रहा संघर्ष पूरा महाराष्ट्र देख रहा है। वास्तव में तो देवेंद्र फडणवीस कभी भी अमित शाह के पसंदीदा मुख्यमंत्री नहीं रहे थे। यह सभी को पता है। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद इसलिए मिला, क्योंकि उन्होंने शिवसेना को तोड़ने में मदद की थी। उनमें बहुत सारी क्षमता, बेमिशाल कार्यशैली, जानकारी और अनुभव है, ऐसा नहीं है। गुजरात व्यापार मंडल एक ऐसा बिकाऊ मुख्यमंत्री चाहता है जो दिल्ली को महाराष्ट्र राज्य से पैसोें की थैलियां पहुंचाए और वे उसी तरह काम कर रहे हैं। इस तरह का जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया।
मीडिया से बात करते हुए संजय राऊत ने कहा कि ७० हजार करोड़ के घोटाले में यदि उनकी मदद की जानी है और उनके साथ अन्य सहयोगी हैं, जिन्होंने मिर्ची का व्यापार किया, उन पर बैंक में घोटाला किए जाने का आरोप संघ का ही है। ऐसों की मदद से यदि यह सरकार और राज्य चल रहा है तो भाजपा और संघ को मेरा दंडवत प्रणाम है। मंत्रिमंडल की बैठक में अजीत पवार और गिरीश महाजन के बीच हुए हाईवोल्टेज ड्रामे पर सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि क्या अजीत पवार फंड के लिए जमीन बेचें। इसका मतलब राज्य की वित्तीय स्थिति हाथ में कटोरा लेने जैसी हो गई है। आंध्र प्रदेश और बिहार पर पैसों की बौछार करते हुए दिल्ली और उनकी चमचा मंडली ने मिलकर महाराष्ट्र को कंगाल किया। ऐसे में उन्हें यह नहीं लगा कि राज्य के किसानों, मेहनतकशों की मदद करनी चाहिए।
आरोप है सही
संजय राऊत ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने आरोप लगाया कि सीमा मुद्दे पर सुनवाई के लिए महाराष्ट्र सरकार के वकील सुप्रीम कोर्ट में हाजिर नहीं होते हैं। यह आरोप सही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चिल्लाते फिरते हैं कि मैं सीमावर्ती क्षेत्र का लड़ाकू सैनिक हूं। हमारे साथ यदि उन्होंने लड़ाई लड़ी थी तो इसका वे सबूत दें। हमारे पास जेल भोगने वाले ४९ लोगों की सूची है। उसमें छगन भुजबल का भी समावेश है। संजय राऊत ने सवाल पूछा है और कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र में यदि उनकी आस्था है तो राज्य सरकार का वकील कोर्ट में हाजिर क्यों नहीं हो रहा है।

सीमावर्ती क्षेत्र में कभी नहीं गए शिंदे
संजय राऊत ने कहा कि पहले के मंत्रिमंडल में चंद्रकांत पाटील और एकनाथ शिंदे पर सीमा क्षेत्र की विशेष जिम्मेदारी थी। लेकिन सीना चौड़ा करते हुए चिल्ला रहे हैं कि हमने लड़ाई लड़ी, लेकिन सच्चाई यह है कि वे सुरक्षा कारणों के चलते एक बार भी सीमावर्ती क्षेत्रों में नहीं गए। हम गए, हमारी गिरफ्तारी हुई। हम पर केस चल रहा है। इसलिए उनसे सीमावर्ती क्षेत्र की जनता की समस्याएं हल होंगी कि नहीं, इस बारे में हम उनसे पूछ भी नहीं सकते हैं।

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