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ऑटोमेटेड ट्विटर अकाउंट्स से किया जा रहा है …खालिस्तान का दुष्प्रचार

एजेंसी / नई दिल्ली
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने कुछ दिनों पहले भारत के खिलाफ हिंसक घटनाओं को बढ़ावा देने के लिए किस तरह से ट्विटर को टूल बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है, इसका खुलासा किया था। वॉशिंगटन पोस्ट ने खुलासा करते हुए लिखा था कि खालिस्तान समर्थक एंटी-इंडिया एजेंडा चलाने के लिए ऑटोमेटेड ट्विटर अकाउंट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनके जरिए दुनिया भर में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है।
ऑटोमेटेड अकाउंट्स यानी स्वचालित खाते, जिन्हें टेक्निकल लैंग्वेज में ‘बॉट्स अकाउंट्स’ भी कहा जाता है, उन्हें प्रोग्राम के जरिए चलाया जाता है। यानी इन खातों को एक बार प्रोग्राम कर दिया जाता है और फिर उसे चलाने के लिए किसी इंसान की जरूरत नहीं होती। ये ट्विटर अकाउंट्स अपने आप चलते रहते हैं और जिस तरह के कंटेट के लिए इन्हें प्रोग्राम किया गया रहता है, उस तरह के कंटेट ऐसे अकाउंट अपने आप ट्वीट करते हैं, उन्हें री-ट्वीट करते हैं। ऑटोमेटेड ट्वीटर अकाउंट्स के उदाहरण आप वैक्सीन अपॉइंटमेंट या फिर किसी आपदा से पूर्व चेतावनी जारी करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। यानी अगर ऐसे १,००० बॉट्स अकाउंट्स बना लिए जाएं, तो किसी भी एजेंडे को काफी आसानी के साथ ट्विटर पर एंजेंडे के रूप में पैâलाया जा सकता है और उन्हें ट्रेंड कराया जा सकता है, जो खालिस्तानी कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तान के चंद समर्थक, एक साथ खालिस्तान का समर्थन करनेवाले पोस्ट, वीडियो और खालिस्तानियों से जुड़े कंटेट को कई ऑटोमेटेड ट्विटर अकाउंट्स के जरिए पब्लिश कर रहे हैं। इससे ऐसा लगता है कि भारी संख्या में खालिस्तानी एक साथ किसी मुद्दे पर बोल रहे हैं, जबकि असलियत में उनकी संख्या मुट्ठीभर होती है। नेटवर्क कॉन्टैगियन रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोध के मुताबिक, इसके अलावा खालिस्तान समर्थक टालमटोल की रणनीति का भी उपयोग कर रहे हैं, जैसे कि ट्वीट्स को बाद में हटा लिया जाता है। `बम’ शब्द की जगह `डिवाइस’ का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा फर्जी खातों को जिंदा रखने के लिए लगातार अलग-अलग रणनीतियां बनाई जाती हैं। अमृतपाल सिंह को बचाने के लिए खालिस्तानियों ने एक साथ सैन प्रâांसिस्को, यूके समेत कुछ और देशों में भारतीय वाणिज्यिक दूतावासों में तोड़-फोड़ करनी शुरू कर दी थी। अमेरिका में भारतीय अधिकारियों और पत्रकारों पर हमला किया गया। रिसर्च में पता चला है कि ट्विटर ने ऐसे फर्जी खातों के खिलाफ कार्रवाई की कोशिश की है, लेकिन इसके बाद भी ऐसे नफरती कंटेट को प्रमोट करने के लिए ट्विटर एक काफी सुविधाजनक प्लेटफॉर्म बना हुआ है।

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