-प्रधानमंत्री कहते हैं, ४ साल में ८ करोड़ नौकरियां आईं
-‘फोर्ब्स इंडिया’ के अनुसार, २०२४ में बेरोजगारी दर ९.२ प्रतिशत
सबूत : हाल ही में भरूच के होटल में १० पदों के लिए २,००० लोगों की भीड़ उमड़ी
सामना संवाददाता / मुंबई
हाल ही में मुंबई आए पीएम मोदी ने इस बात का दावा किया है कि गत चार वर्षों में देश में ८ करोड़ नौकरियों का सृजन हुआ है। आप ही सोचिए यदि पीएम की यह बात सही होती तो देश में बेरोजगारी की दर ९ फीसदी नहीं होती। इससे साफ है कि बेरोजगारी के मुद्दे पर देश के युवाओं से झूठ बोला जा रहा है।
बता दें कि हाल ही में गुजरात के भरूच में एक होटल के लिए १० पदों की भर्ती होनी थी। मगर वहां देखते ही देखते युवाओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। करीब २,००० लोग वहां पहुंच गए। भारी भीड़ के कारण वहां लगी रेलिंग तक टूट गई। यह निजी क्षेत्र की नौकरी थी। यह इस बात का सबूत है कि देश में नौकरी और रोजगार के नाम पर किस तरह से केंद्र सरकार देश को गुमराह कर रही है। पीएम मोदी ने आरबीआई की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछले ३-४ वर्षों में देश में करीब ८ करोड़ नौकरियां सृजित हुईं। इससे पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और हरदीप पुरी भी इसी रिपोर्ट के हवाले से कह चुके हैं कि रोजगार बढ़ रहे हैं। जबकि ‘फोर्ब्स इंडिया’ के अनुसार, इस साल जून माह तक बेरोजगारी दर ९.२ फीसदी रही है।
सरकार के इशारे पर तैयार हो रहे हैं रोजगार के आंकड़े
देश में बेरोजगारी बढ़ रही है पर सरकार का मानना है कि देश में खूब रोजगार पैदा हुए हैं। कुछ दिन पहले एसबीआई ने एक स्टडी जारी की, जिसमें यह दावा किया गया कि पिछले १० वर्षों में देश में १२ करोड़ ५० लाख नौकरियों का सृजन हुआ है। यहां तुलना करने के लिए डॉ. मनमोहन सिंह नीत यूपीए सरकार के १० वर्षों (२००४ से २०१४) तक का समय लिया गया। एसबीआई की यह रिपोर्ट आरबीआई के आंकड़ों के आधार पर ही तैयार की गई थी। इसे तैयार किया था एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग ने। कहा जा रहा है कि आरबीआई और एसबीआई ने यह रिपोर्ट सरकार के इशारे पर तैयार की है।
इस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा गया कि अगर कृषि को छोड़ दें तो मैन्युपैâक्चरिंग और सर्विसेज में नौकरियों की ‘बहार’ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि २०१४ से २०२३ तक ८.९ करोड़ नौकरियां बनी हैं, जबकि २००४-२०१४ तक ६.६ करोड़ नौकरियां ही पैदा हुई थीं। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के दिसंबर २०२२ तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि २०१७-१८ से २०२२-२३ तक बेरोजगारी दर ३.२ फीसदी और ८.१ फीसदी के बीच उतार-चढ़ाव करती रही। यह ऊपरी तौर पर गिरावट का रुझान दिखाता है। घरेलू सर्वे के आधार पर बेरोजगारी का आंकड़ा देने वाला सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़े कहते हैं, अप्रैल २०२० में कोविड-१९ लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी २३.५० फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। तब से इसमें गिरावट का रुझान दिखा है, जो सितंबर २०२२ में ६.४० फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर थी। हालांकि, ताजा डेटा में दिखता है कि बेरोजगारी में बढ़ोतरी का रुझान है। जून २०२४ में बेरोजगारी दर ९.२ फीसदी पर होगी, जो कि ८ महीने के उच्चतम स्तर होगा। चूंकि सीएमआईई की रिपोर्ट जून से पहले की है तो इसलिए जून का आंकड़ा अनुमान पर आधारित है।