सगीर अंसारी / मुंबई
‘पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया’ का नारा मोदी सरकार की ओर से दिया जाता है लेकिन असल में आज शिक्षा व्यवसाय बन गई है। महंगी हो चुकी पढ़ाई-लिखाई अब गरीबों के बस की बात नहीं रह गई है। मुंबई के स्लम इलाकों में चलनेवाले निजी स्कूलों में शिक्षा का न केवल स्तर गिरा हुआ है बल्कि मानमने ढंग से स्कूलवाले फीस भी वसूल रहे हैं। यही नहीं स्कूलवाले बच्चों के अभिभावकों पर दबाव डालकर स्कूल से ही कॉपी-किताब और ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जो कि बाजार से काफी महंगे पड़ते हैं।
अवैध रूप से चलते हैं स्कूल
मनपा स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही और पढ़ाई के निम्न स्तर को देखते हुए स्लम इलाकों में जगह-जगह निजी स्कूल खुल गए हैं। गोवंडी जैसे स्लम इलाके में भी लगातार निजी स्कूलों की तादाद बढ़ती जा रही है। निजी स्कूल कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर चलाए जा रहे हैं। ऐसे स्कूल तीन से चार मंजिला अवैध रूप से बनाए जाते हैं, जिनमें १० बाय १५ फुट के छोटे से कमरे में बच्चों को पढ़ाया जाता है। स्कूल मालिक अपनी राजनीतिक रसूख के दम पर ऐसे स्कूल चलाते हैं।
हो कड़ी कार्रवाई
गोवंडी के जे.पावर ग्रुप (एनजीओ) के अध्यक्ष जमीर कुरैशी ने बताया कि यहां गरीबी रेखा के नीचे रहकर अपनी जिंदगी गुजारने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है। इन लोगों का भी सपना होता है कि उनके बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करें, लेकिन मनपा स्कूलों की हालत जगजाहिर है और शिक्षा में बढ़ता व्यवसाय और महंगी शिक्षा के चलते गरीब घरों के बच्चे पढ़ाई छोड़ कर काम करने लगते हैं। जमीर कुरैशी ने आगे बताया कि राज्य के शिक्षा विभाग को ऐसे स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।