भीड़ और महंगाई कर रही यात्रियों को बेजार
रेलवे में नहीं हो रहे वीआईपी कोटा टिकट भी कन्फर्म
दिल्ली-श्रीनगर का किराया ९,००० की जगह २७,०००
सामना संवाददाता / मुंबई
गर्मियों के सीजन में यात्रा के दौरान उच्च मांग एक अन्य कारण है, जो अन्य एयरलाइनों की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए तैयार है। हाल ही में बीच हवाई किराए में बढ़ोतरी के कारण उड़ानों की संख्या में महत्वपूर्ण गिरावट देखी जा रही है। मौजूदा समय में किसी भी एयरलाइन से यात्रा करना लगभग २ से ३ गुना ज्यादा महंगा हो गया है। गो फर्स्ट के दिवालिया होने की मार का असर यात्रियों की जेब पड़ रहा है।
यात्रा वेबसाइट इक्सिगो के डेटा से पता चलता है कि दिल्ली-लेह मार्ग पर अंतिम समय का किराया अब २९,००० रुपए से अधिक हो गया है, जो एक सप्ताह पहले स्पॉट बुकिंग की लागत का लगभग पांच गुना कम लगभग ६,००० रुपए थी। इसी तरह दिल्ली-श्रीनगर उड़ानें अब लगभग तीन गुना अधिक महंगी हो गई हैं, जिनकी लागत एक सप्ताह पहले के ९,००० रुपए की तुलना में लगभग २७,००० रुपए तक पहुंच गई है। मुंबई-गोवा जैसे अन्य मार्गों पर उड़ानों के लिए स्पॉट हवाई किराया एक सप्ताह पहले के लगभग ४ हजार से दोगुने से अधिक लगभग १० हजार हो गए हैं।
गौरतलब हो कि वाडिया समूह समर्थित एयरलाइन ने स्वेच्छा से नेशनल कोर्ट ऑफ लॉ ट्रिब्यूनल में दिवालियापन के लिए दायर किया है। हालांकि, इसकी याचिका को स्वीकार किया जाना अभी बाकी है। कोर्ट ने २ मई को घंटे भर की सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
ट्रेनों में बढ़ी भीड़
आम आदमी के लिए फ्लाइट टिकट का किराया कुछ हद तक वहन करना ही उचित होता है। लेकिन एक सीमा के बाद लोग अचानक २-३ गुना किराया देकर किसी अन्य एयरलाइन में जाने से कतरा रहे है। यात्रियों द्वारा फ्लाइट की जगह दलालों से उम्मीद और ज्यादा पैसा देकर टिकट कराना ज्यादा उचित समझा जा रहा है। उत्तर भारत की तरफ जानेवाली ट्रेनों में यात्रियों की संख्या बर्थ से दो गुना है।
वीआईपी कोटा नहीं हो रहा है कन्फर्म
पिछले कुछ दिनों में मुंबई से बाहर जाने के लिए कई लोगों के टिकट वीआईपी कोटा से भी कन्फर्म नहीं हो रहे हैं। एक यात्री ने अपनी पहचान छुपाते हुए बताया कि गांव जाने के लिए किसी वीआईपी कोटा से लेटर दिया था, उसने बताया कि वस्तुत: हर बार लेटर देने से टिकट कन्फर्म हो जाता था लेकिन इस बार नहीं हुआ, जिसकी वजह से मजबूरी में लोगों को सीट के बगैर जुर्माना भरकर जाना पड़ रहा है।