सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्र सरकार के गलत कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान एक बार फिर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। किसानों ने केंद्र सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मांगी गर्इं तो वे आंदोलन के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही उन्होंने आंदोलन २.० की हुंकार भर दी है।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के करीब १.५ साल बाद हजारों किसान एक बार फिर दिल्ली के रामलीला मैदान में जुट रहे हैं। किसानों की यह महापंचायत न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने ९ दिसंबर को जो लिखित में आश्वासन दिए थे, उन्हें पूरा करे और किसानों के सामने लगातार बढ़ते संकट को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
दरअसल, केंद्र सरकार ने सितंबर २०२० में संसद में तीन कृषि कानून पास किए थे। इन कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी समेत देश के तमाम राज्यों के किसानों ने दिल्ली में कूच किया था। करीब एक साल तक किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे रहे थे। इसके बाद किसानों से कई स्तर की बातचीत के बाद सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लिया था। साथ ही किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की लंबित मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने एमएसपी पर सुझाव के लिए २९ सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया था लेकिन किसान संगठन इस कमेटी से संतुष्ट नहीं हैं। किसानों की मांग है कि सरकार कमेटी को भंग करे और एमएसपी पर कानून लाए। इसी मांग को लेकर अब किसानों ने एक बार फिर दिल्ली का रुख किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी पर सुझाव के लिए बनी समिति को भंग करने की मांग की है। किसानों का आरोप है कि यह उनकी मांगों के विपरीत है।
एमएसपी गारंटी कानून की मांग
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमने एमएसपी कमेटी की मांग नहीं की, हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है। साथ ही कहा कि हमने मुजफ्फरनगर में बीजेपी को ८ सीटों से घटाकर एक सीट पर कर दिया। २०२४ में पूरे देश में बीजेपी का एक जैसा हश्र होगा। हम यहां केंद्र सरकार से मिलने आए हैं। आपसी सहमति से मसले को सुलझाना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा देशभर में पंचायतों का आयोजन करता है। हमने कभी एमएसपी पर कमेटी की मांग नहीं की। हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है। उन्हें संसद में बिल पेश करना चाहिए और इसे पास करना चाहिए।