बीड में ५९ किसानों ने की जीवनलीला समाप्त
सामना संवाददाता / मुंबई
किसानों की आय दोगुनी करने का जहां ढिंढोरा पीटा जा रहा है, वहीं हकीकत में महाराष्ट्र में किसान संघर्षरत हालात से जूझ रहे हैं। मराठवाड़ा के किसान सबसे ज्यादा भयावह स्थिति का सामना कर रहे हैं। यहां के आठ जिलों में बीते अप्रैल महीने के भीतर २६७ किसानों ने आत्महत्या की है। यह दावा राकांपा (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने किया। मराठवाड़ा विभाग में सबसे ज्यादा ५९ आत्महत्याएं बीड जिले में हुई हैं, यहां गन्ना मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा है।
बीड में ५९ किसानों ने आत्महत्या की है। उसके बाद छत्रपति संभाजीनगर का नंबर है, जहां ४४ किसानों ने आत्महत्या की है। ये प्रकृति के चक्र में फंसे किसानों की तस्वीर है। आरोप है कि खेती और किसान का गला सुखाने का काम चल रहा है। भले ही इसके लिए विभिन्न योजनाओं के तहत मिलनेवालों लाभों में सरकारी आंकड़े उछाले जाते हों, लेकिन किसानों तक इसका कितना लाभ पहुंच रहा है। इसका अंदाजा लगाने के लिए किसानों की आत्महत्या के आंकड़े ही काफी हैं।
वर्ष २०२३ में भी मराठवाड़ा में
१,०८८ किसानों ने की थी आत्महत्या
विभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट से पता चला कि साल २०२३ में मराठवाड़ा के आठ जिलों में १,०८८ किसानों ने आत्महत्या की थी। वर्ष २०२२ की तुलना में इस साल अधिक किसानों ने आत्महत्या की है।
साल २०२३ में बीड में सबसे अधिक २६९ आत्महत्याएं हुर्इं। रिपोर्ट के मुताबिक छत्रपति संभाजीनगर में १८२, नांदेड़ में १७५, धाराशिव में १७१ और परभणी में १०३ आत्महत्याएं हुर्इं। जालना, लातूर और हिंगोली में क्रमश: ७४, ७२ और ४२ मौतें दर्ज की गर्इं। किसानों की आत्महत्याओं का आंकड़ा जालना २९, परभणी १२, हिंगोली १३, नांदेड ४१, बीड ५९, लातूर २७, धाराशिव ४२ कुल २६७ आत्महत्याएं हुई हैं।