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वाशी टोल फ्री होने से डबल जाम का अंदेशा! … महंगा टोल देकर कोई क्यों करेगा अटल सेतु का इस्तेमाल?

– चुनावी लॉलीपॉप के तहत सरकार ने ५ टोल नाकों को किया है फ्री
सामना संवाददाता / मुंबई
चुनावी वोट बटोरने के लिए राज्य की ‘ईडी’ सरकार ने मुंबई में प्रवेश करनेवाले पांच टोल नाकों को फ्री कर दिया है। इससे वाशी टोल नाके पर जाम लगने का अंदेशा पैदा हो गया है। इसकी वजह है कि जब लोगों को फ्री में वाशी टोल नाके से आने जाने का अवसर मिलेगा तो वे महंगे अटल सेतु का इस्तेमाल क्यों करेंगे?

बताया जा रहा है कि टोल नाकों को फ्री करने का नकारात्मक प्रभाव मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) पर पड़ सकता है। सरकार ने दहिसर, मुलुंड, वाशी, ऐरोली और टिनहनाका टोल नाकों पर छोटे वाहनों से टोल शुल्क माफ कर दिया है। इससे इन पांच टोल नाकों से रोजाना गुजरने वाले औसतन २.८ लाख छोटे वाहन अब मुफ्त में गुजरेंगे। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का यह कदम एमटीएचएल की उपयोगिता को घटा सकता है, जो कि शहर में यातायात के दबाव को कम करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

एमटीएचएल का निर्माण इस उद्देश्य से किया गया था कि वह शहर में प्रवेश और बाहर जाने वाले वाहनों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करे और मुंबई के प्रमुख हिस्सों में ट्रैफिक जाम की समस्या को हल करे। लेकिन अब जब पांच प्रमुख टोल नाकों से छोटे वाहनों को टोल से छूट मिल गई है, तो अधिकांश वाहन पुराने मार्गों पर लौट सकते हैं। इससे एमटीएचएल की उपयोगिता कम हो जाएगी और वहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या घटने की संभावना है। सरकार ने एमटीएचएल पर टोल माफी के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि यह पुल यातायात की भीड़ को कम करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि एमटीएचएल पर टोल जारी रहता है तो वाहन चालक पुराने मार्गों की ओर बढ़ सकते हैं, जिससे शहर में ट्रैफिक का दबाव एक बार फिर से बढ़ सकता है। एमटीएचएल पर टोल जारी रखने और अन्य मार्गों पर टोल माफी के कारण शहर के यातायात की समस्या को हल करने के उद्देश्य से किया गया करोड़ों का निवेश व्यर्थ हो सकता है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस फैसले से उत्पन्न संभावित समस्याओं का समाधान कैसे करती है, खासकर जब एमटीएचएल को शहर में ट्रैफिक समस्या को हल करने के लिए एक प्रमुख परियोजना के रूप में देखा जा रहा था।

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