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हड़ताल का पांचवां दिन : अस्पतालों की सेवाएं डगमगाई, मरीजों पर शामत आई! …‘ईडी’ सरकार का अड़ियल रुख कायम

• ओपीडी में मरीज हुए कम
• सर्जरी पर भी पड़ा असर

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने की मांग को लेकर राज्य में बीते पांच दिनों से सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल के चलते सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जानेवाली सेवाएं डगमगा गई हैं। एक तरफ जहां राज्य सरकार द्वारा संचालित मुंबई के चार प्रमुख अस्पतालों में होनेवाली सर्जरी पर असर पड़ा है, वहीं अब ओपीडी में भी इलाज के लिए आनेवाले मरीज कम हो गए हैं। एक तरफ जहां मरीज सुविधाओं की मार झेल रहे हैं, वहीं ‘ईडी’ सरकार हड़तालियों के सामने झुकने को तैयार नहीं दिख रही है।

उल्लेखनीय है कि हड़ताल के पहले दिन से ही अस्पताल सेवाएं प्रभावित हैं। पांचवे दिन शनिवार को इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर दिखाई दिया। ओपीडी में कई सेवाओं के ठप होने से इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों ने खुद ही अस्पतालों से मुंह मोड़ लिया। जेजे अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन ४ हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं लेकिन शनिवार को एक चौथाई के करीब मरीज पहुंचे। इसी तरह जीटी, कामा और सेंट जॉर्ज अस्पताल की ओपीडी में भी सामान्य से कम मरीज पहुंचे। जेजे अस्पताल की डीन डॉ. पल्लवी सापले ने कहा कि हड़ताल के कारण नर्सिंग छात्राओं को ओवरटाइम करना पड़ रहा है। नतीजतन, अस्पताल में करीब २५० नर्सिंग छात्राओं को तीन शिफ्टों में काम करना पड़ रहा है। इसके चलते उन पर काम का बोझ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
जेजे अस्पताल के कर्मचारियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अस्पताल के डॉक्टर पोस्टमार्टम की सलाह नहीं दे रहे हैं। यहां तक ​​कि किसी मामले में शव का पोस्टमार्टम किया जाना जरूरी है तो उसे इस प्रक्रिया के लिए केईएम अस्पताल में भेजा जा रहा है। दूसरी तरफ पहले एक दिन में २५ या उससे अधिक एमआरआई की जाती थी लेकिन प्रशिक्षित तकनीशियनों के हड़ताल पर जाने से अब दिन में एक भी एमआरआई नहीं हो पा रही है। हालांकि, मरीजों के सीटी स्कैन पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा है। जेजे अस्पताल की डीन डॉ. पल्लवी सापले ने कहा कि हड़ताल के कारण बाधित हुई सेवाओं को सुचारू करने के लिए जेजे अस्पताल समेत मुंबई के जीटी, सेंट जॉर्ज और कामा अस्पताल में दिहाड़ी मजदूरों और अस्थाई संविदा कर्मचारियों की तत्काल भर्ती करने का निर्णय लिया गया है। इसकी मदद से मरीजों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसे लेकर राज्य सरकार ने मंजूरी भी दे दी है।
मुंबई के सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन ही दाई और वॉर्ड बॉय का काम कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि मरीजों की मदद करने के लिए वे व्हील चेयर खींचने के साथ ही अन्य काम कर रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि कई मर्तबा अस्पताल परिसर में कर्मचारी उपस्थित रहते हैं लेकिन हड़ताल में शामिल होने के चलते मरीजों की समस्याओं को नजरंदाज करते हैं।

जेजे अस्पताल में हुई सिर्फ १० सर्जरी
हड़ताल के पहले दिन से ही सभी अस्पतालों में अत्यावश्यक और जरूरी सर्जरी ही की जा रही है। जेजे अस्पताल में शनिवार को करीब १० सर्जरी की गई, जबकि जीटी और सेंट जॉर्ज अस्पतालों में अधिकांश सर्जरी रद्द कर दी गर्इं। डीन डॉ. सापले ने कहा कि आईसीयू पर हड़ताल से कोई खासा प्रभाव नहीं पड़ा है। आईसीयू में भर्ती ५० से ६० मरीजों का इलाज बिना किसी अड़चन के शुरू है। उन्होंने कहा कि हड़ताल से पहले अस्पताल की ओपीडी में २,५०० मरीज आ रहे थे व रोजाना ७० से ८० सर्जरी भी हो रही थीं।

लगा कचरे का ढेर
अस्पताल के सफाईकर्मी भी हड़ताल में शामिल हैं। इसके चलते मुंबई के चारों सरकारी अस्पतालों में कचरे का ढेर लग गया है। कई वॉर्डों के बाहर रखे कूड़ेदान मेडिकल और अन्य कचरों से भरे देखे गए। जेजे अस्पताल में सीवेज की मात्रा बढ़ने से क्षेत्र में दुर्गंध पैâल गई है। इसे लेकर डीन डॉ. सापले ने कहा कि फिलहाल अस्पताल परिसर की साफ-सफाई के लिए १२० ठेका कर्मियों की मदद ली जा रही है।

 

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