मुख्यपृष्ठनए समाचारसंकट में मछलियां... समंदर में घुल रहा केमिकल का जहर!

संकट में मछलियां… समंदर में घुल रहा केमिकल का जहर!

लाखों मछुआरे होंगे बेरोजगार
योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
पालघर के बोईसर तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित केमिकल कंपनियों की मनमानी तटीय क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों और जलीय जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। केमिकल कंपनियों से निकलनेवाला रासायनिक अवशिष्टयुक्त पानी समंदर सहित मछुआरों की जिंदगी में जहर घोल रहा है। कंपनियों की मनमानी को रोकने के लिए जिम्मेदार प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब डेढ़ हजार कंपनियां हैं, इनमें दो सौ से अधिक रासायनिक कारखाने हैं। इन पैâक्ट्रियों के अवशिष्ट को बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे तटीय खाड़ियों या गहरे समुद्र में बहा दिया जाता है। जिसको लेकर पर्यावरणविदों ने चिंता व्यक्त की है। ऐसे ही एक मामले का खुलासा मछुआरों ने किया है। समुंदर में सात किमी अंदर कंपनियों से निकलनेवाले रासायनिक पानी को छोड़ा जाना था। लेकिन पाइप लाइन को तय सीमा तक पहुंचाए बिना ही अधिकारियों ने अपना काम पूरा बता दिया, जिसका खामियाजा मछुआरों को भुगतना पड़ रहा है। कंपनियों की मनमानी से यहां की प्राकृतिक खाड़ी और नाले खत्म होते जा रहे हैं।
गुगल से खुली पोल
अखिल महाराष्ट्र मछुआरा कृति समिति के अध्यक्ष देवेंद्र दामोदर टंडेल ने दावा किया है कि एमआईडीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने गहरे समुद्र में ७.१ किमी के भीतर एक नई एचडीपीई पाइपलाइन का निर्माण शुरू किया था, लेकिन एमआईडीसी के अधिकारियों ने केंद्रीय पर्यावरण विभाग की सीआरजेड अनुमति का उल्लंघन करते हुए पाइपलाइन को समुद्र में तय सीमा से पहले ही अधूरा छोड़ दिया। केंद्रीय पर्यावरण विभाग के अनुसार समुद्र में ७.१ किमी अंदर सीवेज छोड़ा जाना चाहिए और उसके अनुसार पाइप लाइन की व्यवस्था की जानी चाहिए। लेकिन हकीकत में जब स्थानीय मछुआरों ने गूगल के जरिए चेक किया तो पता चला कि पाइप लाइन का निर्माण कार्य नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए समुंदर में सात किमी के पहले ही अधूरा छोड़ दिया था।
भ्रष्ट अधिकारियों पर दर्ज हो मामला
मछुआरों के नेताओं का आरोप है कि कंपनियों का रासायनिक सीवेज समुद्र किनारे पैâल रहा है, जिससे मछलियां मर रही हैं। मछुआरों की मांग है कि मामले की पूरी जांच कराई जाए। एमआईडीसी और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जो भी अधिकारी इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।

कंपनियों से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी से नागरिक बुरी तरह प्रभावित हैं। तटीय क्षेत्रों में रहनेवाले लाखों मछुआरों की रोजी-रोटी समंदर से मछली पकड़ने से चलती है, जो इस रासायनिक सीवेज के कारण खतरे में है। लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं की गई तो मछुआरे बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे।
-देवेंद्र दामोदर तांडेल, अध्यक्ष-अखिल महाराष्ट्र मच्छिमार कृति समिति

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