अजय भट्टाचार्य
एक रसोइए ने एक शानदार थाली तैयार की, जो लोगों को बहुत पसंद आई। फिर उसने उसी में थोड़ा-सा बदलाव कर पेश किया, लोगों को वह भी पसंद आया। रसोइए को लगा वह कमाल का भोजन बनाता है। फिर उसने उसी भोजन को अलग स्वाद देकर नए नाम से बनाया, जो लोगों को पसंद नहीं आया, तो उसने उसी थाली में थोड़ा-सा बदलाव, मसाला डाल कर और एक नाम देकर पेश किया, लोगों को यह थाली कुछ हद तक पसंद आई। फिर इस रसोइए ने अब तक बनाई सभी सामग्री को त्योहार के मौके पर एक थाली में परोसने का मन बनाया और सारे मसाले एक कर थाली परोसी। अब सारे मसाले एक साथ होंगे, तो थाली में स्वाद कहां से आएगा। आप समझदार हैं समझ ही गए होंगे। मामला कनाडा को लेकर है। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले दिनों रसोइये के मसालची पर कुछ बोल दिया। तब से ट्रूडो रसोइए की थाली में कंकड़ कि तरह चुभ रहे हैं। यहां का कोई नेता-वेता होता तो अर्बन नक्सल, देशद्रोही, धर्मद्रोही कह-बोलकर भड़ास निकाली जा सकती थी। मामला परदेस से जुड़ा है, लिहाजा रसोइए की मंडली ने फौरन व्हॉट्स ऐप यूनिवर्सिटी के चांसलर से संपर्क किया और जस्टिन ट्रूडो को सबक सिखानेवाला पाठ्यक्रम तैयार करने को कहा। यूनिवर्सिटी ने बड़ी मेहनत करके एक कहानी तैयार की, जिसे रसोइए की मंडली ने प्रसारित-प्रचारित करना शुरू किया। इसमें ट्रूडो की फोटो के साथ लिखा गया, ‘यह जस्टिन ट्रूडो नहीं है। इसका जहांदार तारिक है, जो एक पाकिस्तानी एजेंट है। १९८० के दशक में भारत में यह नाम बदलकर भारत आया था। तब जतिंदर त्रिदेव के नाम से जासूसी करता था। दाऊद इब्राहीम से इसके घनिष्ठ संबंध थे। पकड़े जाने के डर से ट्यूब में बैठकर कनाडा भाग गया। जहां खालिस्तानी उग्रवादियों के सहयोग से उसने एक पार्टी बनाई और चुनाव लड़ा। वहां के ईसाई लोगाों को ठगकर वोट लेने के लिए अपना नाम जस्टिन ट्रूडो रख लिया है। एक वैश्विक षड्यंत्र के तहत यह भारत को नीचा दिखाने के लिए पश्चिमी ताकतों का खिलौना बन गया है। इसके सिर पर चीन का हाथ है। हमारे गृहमंत्री के बारे में अंट-शंट बकने के कारण, लॉरेंस भाई ने इसे फोन करके चमका दिया है।‘ तभी ट्रंप के जीतने की खबर आई और इस कहानी में जोड़ा गया- हर-हर गोदी घर-घर खोदी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित
पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)