मुख्यपृष्ठनए समाचारअन्नदाता हुए हताश...एक लाख किसान चाहते हैं मौत!

अन्नदाता हुए हताश…एक लाख किसान चाहते हैं मौत!

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र की घाती सरकार के शासनकाल में अन्नदाता किसान हताश हो चुके हैं। अकेले महाराष्ट्र में करीब एक लाख किसान जीवन त्याग करना यानी खुदकुशी करना चाहते हैं, ऐसा सनसनीखेज खुलासा एक सर्वे में हुआ है। सेवानिवृत्त विभागीय आयुक्त सुनील केंद्रेकर के नेतृत्व में किए गए पारिवारिक सर्वेक्षण में मराठवाड़ा में आज भी १ लाख ५ हजार ७५४ किसान परिवार अतिसंवेदनशील श्रेणी में हैं। उनके मन में आत्महत्या का विचार आ रहा है। उनकी निराशा को दूर करने के लिए तत्काल मदद के रूप में प्रति हेक्टेयर २५ हजार रुपए की मदद प्रदान करने की सिफारिश राज्य सरकार से की थी।
संभाजीनगर विभाग के सभी जिलों में कुल १९ लाख २९ हजार ७२९ किसानों की आर्थिक, सामाजिक व पारिवारिक सुरक्षा के संदर्भ में सर्वेक्षण करने का एक उपक्रम हाथ में लिया गया था। मराठवाड़ा के आठ जिलों में वर्ष २०१२-२२ इस कालावधि के दौरान ८ हजार ७१९ किसानों ने आत्महत्या की। उनमें से ९२३ फसल नष्ट होने के कारण, १,४०४ कर्ज के कारण, ४,७३१ कर्ज न चुकाने के कारण और १,९२९ अन्य कारणों से आत्महत्या की थी। इन आत्महत्याओं के पीछे कर्जमाफी सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना बताया गया है। २७ जून २०२३ के अंत तक ऑनलाइन भरनेवाले कुल १० लाख किसान परिवार की जानकारी का विश्लेषण करके ७५ से अधिक गुणांक वाले किसान परिवारों, अतिसंवेदनशील ५० गुणांकवाले परिवारों सहित संवेदनशील परिवारों को इस सर्वेक्षण में समावेश किया गया था। कुल १० लाख किसानों में १ लाख ७५४ किसान परिवारों में अतिसंवेदनशील २ लाख ९८ हजार ५०० एक किसान परिवार हैं। किसानों के निराशा के पीछे फसलों का नुकसान होना, बैंकों, साहूकारों का कर्ज, नाइलाज बीमारी, बेटी की शादी के लिए वित्तीय संकट आदि कारण है।

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