-दुष्कर्मी को कठोर सजा दो वर्ना कुर्सी छोड़ो
– बदलापुर कांड से भड़का जनाक्रोश
सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर में दो छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की खबर पैâलने के बाद पूरा महाराष्ट्र उबल पड़ा है। बदलापुर से लेकर पूरी मुंबई में लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। कल बदलापुर में जनाक्रोश उमड़ने के बाद जहां सरकार सकते में आ गई है, वहीं राज्य सरकार की ओर से १,५०० देकर वोट बैंक की राजनीति भी ‘लाडली बहनों’ को समझ मे आ गई है। यू कहें तो शिंदे सरकार में महिलाओं की हो रही दुर्दशा को लेकर उनकी आंखें खुल गई हैं।
बदलापुर में हुए जनाक्रोश आंदोलन के चलते लगभग ८ घंटे तक रेल और सड़कों पर चक्का जाम कर दिया गया। लोग आरपार की लड़ाई के लिए सड़क पर उतर गए। बदलापुर की घटना पर मुंबई की बहनों में भी जबरदस्त आक्रोश है। उनका साफ कहना है कि हमें १,५०० नहीं चाहिए, हमें सुरक्षा चाहिए। सरकार को थोड़ी भी चिंता है तो लाडली बहनों को दरिंदों से बचाए। अगर नहीं बचा सकते तो कुर्सी छोड़ दो। बता दें कि बदलापुर के एक स्कूल में सफाईकर्मी द्वारा दो मासूम बच्चियों के साथ किए गए दुष्कर्म की घटना के बाद जनाक्रोश पैâल गया है। बदलापुर में नागरिक सड़कों पर उतर आए और उस स्कूल को घेर लिया है। रेलवे स्टेशन पर भी सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए और कई ट्रेनें रोकी गईं।
जब बेटियां ही सुरक्षित नहीं हैं
तो रु. १,५०० लेकर क्या करेंगी?
बदलापुर कांड के बाद भड़की लाडली बहनें
यह सरकार हमारे बच्चों की सुरक्षा नहीं कर पा रही है, ऐसे में वह हमारी सुरक्षा में कैसे सफल होगी। हम मुख्यमंत्री के होम टाऊन में रहते हैं, यहां भी हम सुरक्षित नहीं हैं।
बदलापुर में नन्हीं बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना ने बाद महिलाओं में जबरदस्त नाराजगी है। कल बदलापुर में महिलाओं ने भी जोरदार प्रदर्शन किया। इस आंदोलन में शामिल महिला जयश्री माने ने सरकार की जमकर आलोचना की और कहा कि हमें लाडली बहन योजना नहीं चाहिए। हमें आपके १,५०० रुपए नहीं चाहिए। अगर हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं तो इन पैसों का हम क्या करेंगे?
प्रदर्शन में शामिल अनिता पांडे ने कहा कि यह सरकार हमारे बच्चों की सुरक्षा नहीं कर पा रही है, ऐसे में वह हमारी सुरक्षा में वैâसे सफल होगी। हम मुख्यमंत्री के होम टाऊन में रहते हैं, यहां भी हम सुरक्षित नहीं हैं। इस मामले में सुमित्रा जाधव ने कहा कि हमें दहीहांडी का कार्यक्रम भी नहीं चाहिए। हम दहीहांडी कार्यक्रम के लिए किसी सेलिब्रिटी को भी नहीं लाना चाहते, लेकिन हमें न्याय चाहिए। ऐसे में अगर आप राजनेता यहां नहीं आ सकते तो आपका क्या फायदा? अगर यह सरकार हमें न्याय नहीं दे सकती है तो इस सरकार का धिक्कार है। मुंबईकर सुनीता कदम ने कहा कि आप हमें लाडली बहनें कहते हैं तो लाडली बहनों की बेटी की सुरक्षा करने का दावा करने वाले आप कहां हैं? जब ऐसे शिक्षा के संस्थान में हमारी बेटियां को दरिंदे नहीं छोड़ रहे हैं तो खुले बाजार और शहर के अन्य जगहों पर उनकी सुरक्षा की क्या गारंटी है? इस घटना के बाद महिलाओं में इस सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी देखने को मिल रही है।