है वक्त की पुकार यही, हर व्यक्ति में
थोड़ा रावण और थोड़ा राम होना चाहिए
भूले हैं सब मारुति नंदन जैसे बल पौरुष अपना
बल याद दिलाना जामवंत का काम होना चाहिए
विनय नहीं सुनता है जब अभिमानी उदिधि
फिर राम की धनुष से बाण का संधान होना चाहिए
पर बिना सहमति के सतीत्व न भंग हो सीता का
हर व्यति में इतना रावण का योगदान होना चाहिए
बेशक रावण को जलना होगा
किंतु जलाने वाला हाथ सिर्फ श्रीराम का होना चाहिए।
-प्रज्ञा पाण्डेय मनु