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पेपर लीक में फंसे बिहार के पूर्व डीजीपी सिंघल …ईओयू ने कर दी कार्रवाई की सिफारिश

सामना संवाददाता / पटना
बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में केंद्रीय चयन परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष और बिहार के पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को ईओयू की तरफ से दोषी करार दिया गया है। ईओयू ने जांच के बाद सिंघल को दोषी करार देते हुए इनके खिलाफ करवाई की अनुशंसा कर दी है। इसके बाद डीजीपी और तत्कालीन अध्यक्ष की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
ईओयू के एडीजी नैयर खान ने डीजीपी को इस संबंध में पत्र भेजा है। ईओयू के तरफ से कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में बड़ी बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि बिहार के पूर्व डीजीपी और केंद्रीय चयन परिषद, सिपाही भर्ती के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल ने पेपर लीक कराने को लेकर मोटी रकम ली है। यह पैसा प्रिंटिंग प्रेस मालिक से कमीशन के रूप में लिया गया है। ईओयू की ओर से कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में इसके बारे में पूरी तरह से जिक्र किया गया है।
एग्जाम शुरू होने के पहले हुआ था पेपर लीक
राज्य में १ अक्टूबर २०२३ को सिपाही के २१ हजार से अधिक पदों पर बहाली के लिए परीक्षा हुई थी। परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले इसका प्रश्न-पत्र वायरल हो गया था। इस पूरे मामले की जांच करने के लिए ३१ अक्टूबर २०२३ को ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो की अगुवाई में २२ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था। एसके सिंघल ने एक कमरे में चलने वाली प्रिंटिंग प्रेस ‘कालटेक्स मल्टीवेंचर’ को १० प्रतिशत कमीशन लेकर प्रश्नपत्र छापने का ठेका फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना ही दे दिया था। इसको लेकर एसके सिंघल से पहले ही ईओयू पूछताछ कर चुका है।
ईओयू सिंघल के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। इसके अलावा ब्लेसिंग सेक्सयोर के निदेशक कौशिक कर और कालटेक्स के निदेशक सौरभ बंदोपाध्याय ने अपने बयान में इस बात को स्वीकारा है कि २०२२ में मद्यनिषेध सिपाही भर्ती का विज्ञापन निकला था। तब दोनों तत्कालीन अध्यक्ष से मिले थे। कंपनी कालटेक्स को इस शर्त पर ठेका दिया गया कि हमें १० प्रतिशत कमीशन देना होगा। डीजीपी बंगले के पिछले गेट पर कमीशन की रकम दी गई। तत्कालीन अध्यक्ष ने कालटेक्स के साथ एक साल का करार किया।

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