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शिंदे राज में चल रही जालसाजी … राज्य में ३ लाख फर्जी विद्यार्थी! …करोड़ों की हो रही लूट

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में जब से शिंदे सरकार सत्ता में आई है, तभी से शिक्षा और स्वास्थ्य से लेकर सभी आम नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं से जुड़े सभी क्षेत्र रामभरोसे चल रहे हैं। मौजूदा स्थितियां यह बयां कर रही हैं कि राज्य सरकार लालफीताशाही के दबाव में काम कर रही है। इसी में शिक्षा से जुड़ी एक चौंकानेवाली जानकारी सामने आई है। इसमें सरकारी और निजी स्कूल संस्थानों ने तीन लाख से अधिक फर्जी विद्यार्थियों को दिखाकर सरकार से करोड़ों रुपए लूटकर डकार तक नहीं ली। हालांकि, सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा इन संस्थानों पर कार्रवाई करने की बजाय मूकदर्शक बने बैठे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में हर महीने फर्जी छात्रों पर ३०० से ५०० करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस फर्जीवाड़े का खुलासा आधार कार्ड से हुआ है। इसमें बताया गया है कि राज्य में कुल ३,३३,२०० विद्यार्थियों को बिना आधार कार्ड के स्कूल में प्रवेश दिया गया है। इससे साफ है कि ये विद्यार्थी फर्जी हैं। उल्लेखनीय है कि शिंदे सरकार ने विद्यार्थियों के लिए स्कूल में प्रवेश के दौरान आधार कार्ड को लिंक करना अनिवार्य कर दिया था। ऐसे में विद्यार्थियों के आधार लिंक की प्रक्रिया को पूरा करने के दौरान इस तरह की जालसाजी का भंडाफोड़ हुआ है।
इस तरह से चल रही है जालसाजी
प्रदेश के निजी और सरकारी स्कूलों में तीन लाख से अधिक विद्यार्थियों को दिखाकर पदों को मंजूर करा लिया। फिलहाल, यह मामला सामने आने के बाद यूडियस प्रणाली में दिखाई गई विद्यार्थी संख्या और दर्ज आधार संख्या में अंतर पर राज्य शिक्षा विभाग ने आपत्ति जताई है।
राज्य के स्कूलों में २,११,८४,५९८ विद्यार्थी
जानकारी के मुताबिक, राज्य के निजी और सरकारी स्कूलों में कुल २,११,८४,५९८ विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से २,००,४७,९३९ विद्यार्थियों को वैध, जबकि ३,३३,२०० विद्यार्थी ऐसे हैं, जिनके पास आधार नहीं है यानी ये विद्यार्थी फर्जी हैं। इसके साथ ही ४,३५,४९९ विद्यार्थियों के सरल और आधार डाटा में मौजूद खामियों को दूर करने की जिम्मेदारी संबंधित स्कूलों को दी गई है।
दिखाई गई विद्यार्थियों की अधिक संख्या
राज्य के कई स्कूलों में बिना आधार कार्ड वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। शिक्षा विभाग ने राज्य के निजी स्कूलों पर सीधी आपत्ति जताई है। इससे राज्य सरकार को हर माह करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। राज्य में साल २०२१ में पहली बार बीड जिले में फर्जी छात्र संख्या दिखाकर सरकार को चूना लगाने का मामला सामने आया था। इसके बाद मुंबई हाई कोर्ट की छत्रपति संभाजीनगर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके बाद कोर्ट ने न्यायाधीश पी.वी. हरदास (सेवानिवृत्त) की समिति नियुक्त की गई थी। समिति ने जुलाई २०२२ में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। उस रिपोर्ट को सरकार ने स्वीकार करते हुए दिशा-निर्देश तैयार किए गए इसलिए स्कूलों में छात्रों के दाखिले के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया है।

 

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