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अब तक नहीं शुरू हुई है , मनपा अस्पतालों में मुफ्त दवा! …जीरो प्रिस्क्रिप्शन योजना की उपलब्धि ही हो गई जीरो

सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव को निगाहों के सामने रखते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछले साल मनपा अस्पतालों में जीरो प्रिस्क्रिप्शन पॉलिसी शुरू करने का निर्देश दिया था। हालांकि, इस निर्देश की आज तक मनपा अवहेलना करते आ रही है। आरोप है कि एक अप्रैल २०२४ से योजना शुरू करने की घोषणा मनपा ने तो कर दी, लेकिन इसका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन नहीं हो सका है। योजना को शुरू करने के लिए तारीख पर तारीख मिल रही है। कुल मिलाकर यह योजना कागजों में धूल फांक रही है।
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने १७ दिसंबर को अपने स्वच्छता अभियान के तहत राजावाड़ी अस्पताल का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन आयुक्त इकबाल सिंह चहल को १५ जनवरी तक सभी मनपा अस्पतालों में जीरो प्रिस्क्रिप्शन पॉलिसी लागू करने का निर्देश दिया था। बजट में इसके लिए प्रावधान कर इसे एक अप्रैल से शुरू किया जाना था। इसके बाद आचार संहिता का हवाला देकर लोकसभा चुनाव तक टाल दिया गया, फिर विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई, लेकिन अभी तक यह योजना लागू नहीं हुई है। मनपा अधिकारियों ने कहा है कि इस नीति के लागू होने से अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बाहर से कोई दवा खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, मनपा प्रशासन इस नीति को तय समय सीमा में लागू करने में पूरी तरह विफल रहा है।
मनपा अस्पतालों में जीरो प्रिस्क्रिप्शन लागू करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है। वर्तमान में  मनपा अस्पताल मामूली बुखार की दवाओं से लेकर ग्लूकोज, आईवी सेट, सर्जिकल उपकरण, परीक्षण किट आदि समेत कुल १,००० वस्तुओं की खरीदी कर उन्हें मरीजों को मुफ्त मुहैया कराते हैं। इसके अलावा मनपा की अनुसूची में जो दवाएं, सर्जिकल उपकरण और परीक्षण आदि सुविधाएं शामिल नहीं हैं, उन्हें मरीजों से बाहर से लाने के लिए कहा जाता है।
दवाएं, जांच उपकरणों की संख्या ४ हजार
जीरो प्रिस्क्रिप्शन पॉलिसी लागू होने से मनपा शेड्यूल में दवाओं, जांच और उपकरणों की संख्या चार हजार तक हो जाएगी। इस पैâसले को मूर्त रूप देने से पहले अस्पतालों के लिए तीन से चार हजार तरह की दवाओं की खरीद के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। जनवरी में अस्पतालों में हजारों तरह की दवाएं और उपकरण खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी। प्रशासन की ओर से यह भी कहा गया कि इस नीति को लागू होने में डेढ़ से दो महीने का समय लग सकता है, लेकिन दो माह बाद भी यह योजना अभी तक कागजों पर ही है।

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