चारों तरफ दोस्ती
गहरी हो रही है।
फिर भी तनाव है।
लगता है
दोस्ती नहीं
व्यापार है।
मगर हमें
दोस्ती का इंतजार है।
जो दुख दर्द समझे
आगे बढ़े
मानवता के दबाव में
निःस्वार्थ
निर्भीक भी।
जिसमें स्वार्थ का
पूरा पूरा
अभाव हो।
इंसानियत का लगाव हो।
शेष
शुभ यात्रा में
अगला पड़ाव हो
उत्तम बर्ताव हो।
जय हिंद।।
अन्वेषी