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जुनून से जिद तक…

हिमांशु राय
वाराणसी

आए दिन कोई न कोई घटनाक्रम देखने-सुनने से एहसास होता है कि मोहब्बत ने अब तक का सफर जुनून से लव जिहाद तक तय किया है। मामला मोतिहारी के तुरकौलिया के सेमरा बेलावतिया गांव का है, जहां, उत्तर प्रदेश की छात्रा को प्रेम जाल में फंसाकर दुबई ले गया। युवक ने दुबई में उसका धर्म परिवर्तन कराकर युवती से शादी रचाई और फिर शादी के दो साल बाद दुबई से रुपए, कागजात व जेवरात लेकर भाग निकला। पति को दुबई से खोजते हुए लड़की उसके घर तुरकौलिया पहुंची।
आक्रोशित दर्जनों ग्रामीणों के साथ लड़की अनशन पर बैठी रही पर लड़के के घरवालों ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया। सैकड़ों ग्रामवासियों ने मिलकर युवक तालिक रजा के घर पंचायत बुलाई। पंचायत चार घंटे चली लेकिन अधूरी रही। लड़की प्रीती की बात झूठी न हो इसलिए तालिक की भी बात सुनी गई। पंचायत में रो-रो कर सभी पंचों से प्रीती ने न्याय की गुहार लगाई। पूरे गांव के सामने तालिक ने प्रीती को पत्नी के रूप में अपनाने की बात को एक सिरे से खारिज कर दिया। उसने कहा कि वो प्रीति के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में था। उसने न तो उसका धर्म परिवर्तन कराया और न ही उससे निकाह किया। इस बीच मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्रा को अपनी अभिरक्षा में लिया है। इस मामले में लड़के के परिजनों से पूछताछ की जा रही है। पीड़िता की ओर से तुरकौलिया पुलिस को आवेदन दिया गया है। पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। शीघ्र जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

विकास में जीने का प्रयास
तेजस आध्यात्मिक उर्जा से ओत प्रोत होकर काशी विश्वनाथ जी के दर्शन करने सपरिवार वाराणसी पहुंचे। वाराणसी वे पहले भी आ चुके थे और इच्छा प्रबल हो चुकी थी कि एक बार विश्वनाथ कोरिडोर घूमा जाए। गलियों, मंदिरों, सात वार नौ त्योहारों और मिजाजों का शहर बनारस अब बदल चुका था। भीड़ बहुत बढ़ गई थी। नित्य आने जानेवालों में इस छोटे से शहर को हिंदुस्थान की आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है। वर्षों बाद इतनी भीड़ और कोरिडोर का वृहद स्वरूप देख कर तेजस की आंखें आश्चर्य से भर गई परंतु मस्तिष्क का तार्किक पक्ष पहले और आज के बनारस की स्थिति की तुलनात्मक विवेचना करने लगा। लगातार वीआईपी लोगों का जमावाड़ा और वीभत्स ट्रैफिक के जंजाल में बनारस उलझा है।
तेजस सोचने लगा कि जब इतनी सुविधा मंदिर प्रांगण में नहीं थी, तब कितने सुकून से एक लोटा जल, मदार की माला और बेलपत्र विश्वनाथ जी को चढ़ाकर असीम शांति और अलौकिक आध्यात्मिक अनुभूति मिलती थी, जो आज इतना सब कुछ होने के बाद नहीं मिली। बाबा के दर्शन से लेकर पूजा पाठ सब पर शुल्क लग गया है। कोरिडोर एक बाजार का स्वरुप लेता जा रहा है। यहां खाने-पीने, पहनने, रहने और शादी विवाह सबका प्रबंध है। आपको अमूमन सभी छोटे बड़े होटल बुक मिलेंगे। आध्यात्मिक स्थल से पर्यटन स्थल में बदलता बनारस देखकर हृदय थोड़ा व्याकुल हुआ। अपनी इस व्याकुलता को अपने बनारस वाले गुरु जी के सामने जब तेजस ने प्रकट किया तो गुरु जी ने कहा, `भौतिकता से इतर होकर केवल बाबा से मतलब रखो, कुछ नियत नहीं है सब कुछ परिवर्तनशील है’…सुनकर मन को थोड़ी शांति तो मिली, पर आभास हुआ कि एक ठहरे हुए शहर बनारस और उसके निवासी इस बदलाव की हलचल और होते विकास में जीने का प्रयास कर रहे हैं…!

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